वाट्सएप पर अनुबंध समाप्त करने के मामले पर बनाए रखें यथास्थिति
अनुबंध की सीमा समाप्त होने से एक महीने पहले अनुबंधित महिला लेखा सहायक को वाट्सएप पर मैसेज भेजकर नौकरी से निकालने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मील्लिया इस्लामिया को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर महिला कर्मचारी की याचिका पर जवाब मांगा है। पीठ ने सुनवाई को 20 अगस्त तक के लिए स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता की नौकरी पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
अनुबंध की सीमा समाप्त होने से एक महीने पहले अनुबंधित महिला लेखा सहायक को वाट्सएप पर मैसेज भेजकर नौकरी से निकालने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर महिला कर्मचारी की याचिका पर जवाब मांगा है। पीठ ने सुनवाई को 20 अगस्त तक के लिए स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता की नौकरी पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। जनहित याचिका दायर कर महिला कर्मचारी ने दावा किया कि विश्वविद्यालय ने सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ओपन लर्निग (सीडीओएल) लेखा विभाग के सभी छह कर्मचारियों की सेवाओं को कारण बताए बिना ही समाप्त कर दिया।
याचिका के अनुसार जामिया ने व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से उसे बताया कि 11 जुलाई से उसकी सेवाएं समाप्त की जाती हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय का फैसला याचिकाकर्ता के लिए एक झटका था क्योंकि उनका अनुबंध नवंबर 2020 तक वैध था। कोरोना महामारी के बीच अचानक अनुबंध समाप्त होने से याचिकाकर्ता के सामने आजीविका का संकट है। याचिकाकर्ता को 20 नवंबर 2017 को लेखा सहायक के तौर पर चुना गया था और 23 नवंबर को उन्हें नियुक्ति पत्र जारी हुआ था। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि विश्वविद्यालय का निर्णय गैरकानूनी, मनमाना और अन्यायपूर्ण है। याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया गया।