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कोरोना से मौत पर बढ़ी श्मशान घाटों की चुनौतियां

कोरोना से मौत पर बढ़ी शमशान घाटों की चुनौतियां कोरोना से मौत पर बढ़ी शमशान घाटों की चुनौतियां

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:15 AM (IST)
कोरोना से मौत पर बढ़ी श्मशान घाटों की चुनौतियां
कोरोना से मौत पर बढ़ी श्मशान घाटों की चुनौतियां

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राजधानी में बढ़ रहे कोरोना से मौत के मामलों से दिल्ली के श्मशान घाटों की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। दिल्ली में चार श्मशान घाटों पर ही कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार हो रहा है। इस कारण मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पर उनके करीबियों, स्वजनों को प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। सामाजिक संगठन श्मशान घाटों की संख्या बढ़ाने की भी मांग कर रहे हैं ताकि लोगों को परेशान न होना पड़े।

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दरअसल, कोरोना से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार प्रशासन की देखरेख में होता है। जिसमें प्रशासन द्वारा तय दिशा-निर्देशों का भी पालन करना पड़ता है। इसकी वजह अंतिम संस्कार में देरी भी होती है तो दूसरे लोगों को इंतजार करना पड़ता है। इससे लोगों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।

दिल्ली के सबसे पुराने श्मशान घाट निगम बोध की बात करें तो यहां पर अब तक 500 से ज्यादा कोरोना के संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार हो चुका है। मौत के बढ़ते आंकड़ों की वजह से शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए प्रशासन ने श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार का समय भी बढ़ा दिया है। अब सुबह सात से रात 10 बजे तक अंतिम संस्कार की अनुमति है। इसके अलावा पंजाबी बाग स्थित श्मशान घाट की भी यही स्थिति है। यहां पर भी बड़ी संख्या में रोज शव पहुंच रहे हैं, जिनके अंतिम संस्कार के लिए स्वजनों को इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं रानी झांसी रोग स्थित श्मशान घाट में कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार होता है। हालांकि यहां अस्पतालों से कम ही शव भेजे जाते हैं। उधर, पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित श्मशान घाट को भी कोरोना से मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए चिह्नित किया गया है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, राजधानी में अब तक 761 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। बॉक्स

छह में तीन ही काम कर रही हैं भट्टिया

निगम बोध घाट श्मशान घाट पर छह सीएनजी की भट्टियां हैं, जिनमें से फिलहाल तीन ही काम कर रही हैं। इस कारण लकड़ी से भी अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। कोरोना महामारी से पहले सीएनजी से अंतिम संस्कार कराने के लिए लोगों से आग्रह करना पड़ता था, लेकिन अब दिशा-निर्देशों के तहत सीएनजी और लकड़ी से अंतिम संस्कार करना अनिवार्य है इसलिए इन पर भी बोझ बढ़ गया है। हालांकि संचालन समिति ने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आइजीएल) की सहायता से बंद पड़ी भट्टियों को फिर से चालू करने के लिए काम शुरू कर दिया है। बॉक्स..

बढ़ाए जाएं अंतिम संस्कार के श्मशान घाट

चांदनी चौक नागरिक मंच के सचिव प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि फिलहाल चार ही श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार हो रहा है। इसकी संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए। इसलिए निगमों को चाहिए कि फिलहाल उन श्मशान घाटों पर कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार शुरू करें जहां पर सीएनजी व बिजली से अंतिम संस्कार की सुविधा है।


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