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आइआइटी दिल्ली के विद्यार्थियों के नवीन विचार लेंगे मूर्त रूप

समाज को नई राह दिखाने वाली तकनीक को आइआइटी दिल्ली के छात्र तेजी से विकसित कर रहे हैं। लोगों की मुश्किलों को आसान बनाने वाली तकनीक पर संस्थान के विद्यार्थी काम कर रहे हैं। संस्थान की तरफ से 2019 के लिए परियोजना तैयार की गई है, इसके तहत 100 करोड़ रुपये तक के विभिन्न प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे। यह वे प्रोजेक्ट हैं, जिन पर विद्यार्थी शोध कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 08:58 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 08:58 PM (IST)
आइआइटी दिल्ली के विद्यार्थियों के नवीन विचार लेंगे मूर्त रूप
आइआइटी दिल्ली के विद्यार्थियों के नवीन विचार लेंगे मूर्त रूप

राहुल मानव, नई दिल्ली

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समाज को नई राह दिखाने वाली तकनीक को आइआइटी दिल्ली के छात्र तेजी से विकसित कर रहे हैं। लोगों की मुश्किलों को आसान बनाने वाली तकनीक पर संस्थान के विद्यार्थी काम कर रहे हैं। संस्थान की तरफ से 2019 के लिए परियोजना तैयार की गई है, इसके तहत 100 करोड़ रुपये तक के विभिन्न प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे। यह वे प्रोजेक्ट हैं, जिन पर विद्यार्थी शोध कर रहे हैं।

आइआइटी दिल्ली के एसोसिएट डीन प्रोफेसर अनुराग राठौड़ ने बताया कि संस्थान का मकसद है कि विद्यार्थियों के नवीन विचार को नई उड़ान मिले और देश-दुनिया के औद्योगिक कंपनियों के जरिये वह अपने विचार को एक उत्पाद के रूप में विकसित कर सकें। इसको ध्यान में रखते हुए संस्थान की ओर से उद्योगों के साथ करार भी किया जा रहा है। संस्थान के 300 कंपनियों के साथ करार हो चुके हैं और इन सभी कंपनियों के साथ हमारे विद्यार्थियों की ओर से कई तरह के शोध किए जा रहे हैं। इन शोध को नए उत्पाद के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले साल 100 करोड़ रुपये तक के विभिन्न प्रोजेक्ट को तैयार करना है। साथ ही कई पुराने प्रोजेक्टों को पूरा कर लिया जाएगा।

आइआइटी दिल्ली के बायोटेक्नोलॉजी विभाग, केमिस्ट्री विभाग के विद्यार्थियों की ओर से कई प्रकार की दवाएं तैयार करने पर भी काम किया जा रहा है। उत्पाद तैयार करने के लिए फैकल्टी को विद्यार्थियों के साथ लाएंगे -

प्रो. अनुराग ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक फैकल्टी के सदस्य विद्यार्थियों के साथ मिलकर नए प्रोडक्ट को तैयार करने में अपना योगदान दें। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं कि आइआइटी दिल्ली की तरफ से जो ऊष्मायन केंद्र (इंक्यूबेशन सेटर) स्थापित किया गया है, उसमें नए प्रोडक्ट को तैयार करने में फैकल्टी छात्रों की सहायता करें। पहले विद्यार्थियों के पास नहीं होते थे पैसे, अब मिल रही है मदद

उन्होंने कहा कि 10 से 15 साल पहले आइआइटी के विद्यार्थियों को अपने आइडिया को एक उत्पाद में बदलने के लिए पैसे नहीं मिल पाते थे। अब विद्यार्थियों के आइडिया को उत्पाद के रूप में लाने के लिए संस्थान की ओर से उन्हें आर्थिक मदद दी जा रही है। समाज तक उत्पाद पहुंचाने में उद्योग दे रहा है सहयोग

प्रो. अनुराग ने कहा कि आइआइटी दिल्ली के विद्यार्थियों को अपने विचार और नई तकनीक को समाज तक पहुंचाने के लिए अब औद्योगिक क्षेत्र से सहयोग मिल रहा है। इसलिए कई क्षेत्रों के औद्योगिक कंपनियों को संस्थान में बुलाकर विद्यार्थियों से उनकी मुलाकात करवा रहे हैं।


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