दिल्ली के रैन बसेरों में रहने वाले बेघरों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल, वसंत विहार में आग लगने से हुई थी 2 लोगों की मौत
राजधानी के रैन बसेरों में रहने वाले बेघर लोगों की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है। सुरक्षा गार्डों और सीसीटीवी कैमरों जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण आपराधिक गतिविधियों का खतरा बढ़ गया है। उचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि इन आश्रयों में रहने वाले लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।
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बीते दिनों वसंत विहार स्थित रैन बसेरे में आग लगी थी।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। वसंत विहार रैन बसेरे में सोमवार को आग लगने से दो बेघरों की मौत से रैन बसेरों में रहने वाले बेघर लोगों की सुरक्षा पर सवाल उठ गया है। यह मुद्दा अब चर्चा के केंद्र में है कि रैन बसेरों में रह रहे बेघर क्या आग से सुरक्षित हैं? विशेषज्ञ इन रैन बसेरों की फायर ऑडिट कराए जाने की जरूरत पर बल दे रहे हैं।
रैन बसेरे चला रहे डूसिब का दावा है कि रैन बसेरों में सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हैं, मगर सच्चाई यह है कि यह सभी व्यवस्थाएं कागजों पर अधिक दिख रही हैं जमीन पर कम हैं। दिल्ली भर में 326 स्थानों पर चल रहे रैन बसेरों में 19 हजार बेघरों के रहने के इंतजाम हैं, जिनमें इस समय 5000 से अधिक बेघर रह रहे हैं।
रैन बसेरों की स्थिति पर नजर डालें तो दिल्ली भर के रैन बसेरों में सोमवार की रात को 5344 बेघर थे, जबकि दिन के समय इनकी संख्या 3003 थी। दिल्ली में चार श्रेणी के रैन बसेरे चल रहे हैं। इनमें पक्की इमारत, पोर्टा केबिन, अस्थाई इमारत और टेंट शामिल हैं।
सोमवार को जिस रैन बसेरे में आग लगी है वह पोर्टा केबिन में था, मगर सुरक्षा के मामले में सभी के हालात एक जैसे हैं। कहीं पर भी आग से बचाव को लेकर व्यवस्थाएं चाक-चौबंद नहीं हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि आग से बचाव के लिए हर रैन बसेरे का फायर ऑडिट किया जाना चाहिए।

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