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Delhi: अस्पतालों और पुलिस की लापरवाही दुष्कर्म पीड़िताओं पर पड़ रही भारी, HIV सहित कई यौन संक्रामक रोगों की नहीं होती जांच

राजधानी में हर दिन कम से कम दो महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती हैं। वर्ष 2021 में 2076 और 2020 में 1699 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई हैं। यौन हिंसा की शिकार ये महिलाएं शारीरिक और मानसिक आघात तो झेलती ही हैं।

By Ritika MishraEdited By: GeetarjunPublished: Thu, 29 Sep 2022 09:56 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 09:56 PM (IST)
Delhi: अस्पतालों और पुलिस की लापरवाही दुष्कर्म पीड़िताओं पर पड़ रही भारी, HIV सहित कई यौन संक्रामक रोगों की नहीं होती जांच
अस्पतालों और पुलिस की लापरवाही दुष्कर्म पीड़िताओं पर पड़ रही भारी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में हर दिन कम से कम दो महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती हैं। वर्ष 2021 में 2076 और 2020 में 1699 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई हैं। यौन हिंसा की शिकार ये महिलाएं शारीरिक और मानसिक आघात तो झेलती ही हैं, साथ ही इनके स्वास्थ्य पर भी दुष्कर्म का गहरा असर पड़ता है।

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रेप इंपैक्ट कोहोर्ट इवैल्यूएशन (RICE) के अध्ययन के मुताबिक 16 से 40 साल की उम्र के बीच अगर कोई महिला दुष्कर्म का शिकार होती है तो उनमें एक या दो वर्ष के भीतर एचआइवी संक्रमित होने की संभावना 60 प्रतिशत अधिक होती है। फिर भी दिल्ली के सरकारी अस्पताल दुष्कर्म की शिकार महिलाओं में यौन संक्रामक रोगों (STD) की जांच नहीं करते हैं।

दिल्ली में मिले HIV संक्रमति आंकड़े

दिल्ली राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी ने विगत वर्ष अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली में वर्ष 2021 में 4500 और 2020 में 3629 व्यक्ति एचआइवी से संक्रमित पाए गए हैं। प्रतिवर्ष बढ़ते इन आंकड़ों की प्रमुख वजह अस्पतालों और पुलिस का लापरवाही भरा रवैया है।

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अधिकतर अस्पताल नहीं करते HIV जांच

आज यदि कोई दुष्कर्म पीड़िता मेडिकल परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाई जाती है तो दिल्ली के अधिकतर सरकारी अस्पताल महिला की एचआइवी जांच नहीं करते और न ही पीड़िता को नियमित अंतराल पर एचआइवी परीक्षण कराने की सलाह देते हैं। कुछ इक्का-दुक्का अस्पताल अगर जांच करते भी हैं तो एक बार जांच रिपोर्ट निगेटिव आ जाने पर महिला की तीन माह तक फालोअप जांच नहीं की जाती है।

लापरवाही पीड़िताओं पर पड़ती है भारी

दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की ये लचर व्यवस्था पीड़िताओं पर भारी पड़ती है। वहीं, पुलिस भी ऐसे मामलों में लापरवाही भरा रवैया अपनाती है। अस्पतालों के मुताबिक, दुष्कर्म पीड़िता का आरोपित यदि एचआइवी संक्रमित मिलता है तो पुलिस कई बार आरोपित व्यक्ति के एचआइवी संक्रमित होने की जानकारी अस्पतालों को देरी से देती है या कई मामलों में नहीं भी देती है।

इस प्रक्रिया में देरी होने से अस्पताल पीड़िता का इलाज भी सही समय पर शुरू नहीं कर पाते हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिल्ली महिला आयोग को दी गई जानकारी के अनुसार, पश्चिमी दिल्ली में आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल और गुरु गोबिंद सिंह सरकारी अस्पताल में आरोपित व्यक्ति का मेडिकल परीक्षण करने के बाद संक्रमित पाए जाने पर इसकी सूचना पीड़िता के अस्पताल को समय से दी जाती है, ताकि अस्पताल पीड़िता का तुरंत उपचार शुरू कर सके।

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एचआइवी संक्रमित पीड़िता की मदद के लिए नहीं उठाए जा रहे समान कदम

दुष्कर्म की शिकार पीड़िता यदि जांच के दौरान एचआइवी संक्रमित पाई जाती है तो इस संक्रमण को रोकने के लिए एक त्वरित और कुशल प्रतिक्रिया प्रणाली की आवश्यकता होती है। एचआइवी देखभाल और उपचार के लिए वर्ष 2021 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश में कहा गया है कि एकीकृत परामर्श और परीक्षण केंद्र (आइसीटीसी) में एचआइवी से संक्रमित पाए गए सभी व्यक्तियों को एचआइवी देखभाल और उपचार सेवाओं के लिए एंटीरेट्रोवाइरल (एआरटी) केंद्रों में नामांकित किया जाना चाहिए। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में इस संक्रमण से बचाव के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं वो भी एकसमान नहीं हैं।

आयोग को मिली सूचना के अनुसार, सफदरजंग अस्पताल और दीप चंद बंधु अस्पताल में ऐसी स्थिति में कोई कदम उठाने के बारे में स्पष्टता नहीं है। जग प्रवेश चंद्र अस्पताल और भगवान महावीर अस्पताल का कहना है कि वो पीड़ित की जांच आइसीटीसी केंद्र में भेजते हैं जिसके बाद उन्हें वहां से पीड़ित की जांच रिपोर्ट के परिणाम के बारे में सूचित नहीं किया जाता है।

नियमित अंतराल पर होने वाली जांच में भी बरती जा रही लापरवाही

अस्पतालों द्वारा नियमित अंतराल पर होने वाले एचआइवी परीक्षण और परामर्श में भी लापरवाही बरती जा रही है। दुष्कर्म पीड़िता की एचआइवी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी तीन से छह माह तक उसकी इस जांच का फालोअप होना होता है, लेकिन अधिकांश पीड़िताओं के मामले में ऐसा नहीं किया जा रहा है और न ही इसका कोई विवरण अस्पतालों द्वारा रखा जा रहा है। इसके साथ ही दुष्कर्म पीड़िताओं को पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) देने का रिकार्ड भी कुछ अस्पतालों द्वारा नहीं रखा जाता है।

ये है नियम

दिल्ली पुलिस का 2019 का स्थायी आदेश संख्या 303 (अनुलग्नक 'ए' के रूप में संलग्न) सभी जांच और पर्यवेक्षीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि आरोपित की चिकित्सा जांच करवाते समय एसटीडी/एसटीआइ का परीक्षण भी करवाया जाए, ताकि अगर कोई भी आरोपित किसी बीमारी से पीड़ित हो तो पीड़िता को जल्द से जल्द जरूरी इलाज मुहैया कराया जा सके।

साल 2019 में दुष्कर्म पीड़िताओं का परीक्षण

अस्पताल                           कुल मेडिको लीगल परीक्षण                कुल एचआइवी जांच

दीप चंद बंधु अस्पताल                 180                        कुछ मामलों में कराया है परीक्षण (डाटा उपलब्ध नहीं)

लोक नायक अस्पताल                   94                                                   58

डा. आंबेडकर अस्पताल       रिकार्ड नहीं रखते                             रिकार्ड नहीं रखते

राव तुला राम अस्पताल        रिकार्ड नहीं रखते                             रिकार्ड नहीं रखते

इन अस्पतालों के पास नियमित अंतराल की जांच का डाटा नहीं है उपलब्ध

  • एम्स
  • डा बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल
  • संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल
  • राव तुला राम अस्पताल
  • जग प्रवेश चंद्र अस्पताल
  • भगवान महावीर अस्पताल
  • डीडीयू अस्पताल

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