सीबीआइ प्रमुख को छुट्टी पर भेजने के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : एक-दूसरे पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : एक-दूसरे पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने कहा कि मामले में आलोक वर्मा व राकेश अस्थाना पहले ही सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं और वहां सुनवाई हो रही है।
संकलन पोरवाल ने याचिका में कहा कि 23 अक्टूबर का केंद्र सरकार का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करता है, जिसे रद किया जाना चाहिए। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बैनर्जी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता उस मामले में राहत मांग रहा है, जिस पर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और 16 नवंबर को मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दे चुका है।
राकेश अस्थाना मामले में यथास्थिति बरकरार
हाई कोर्ट ने सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के मामले में यथास्थिति बनाए रखने की समयावधि बढ़ाकर 28 नवंबर कर दी है। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को नोटिस न भेजे जाने पर सवाल भी उठाया। पीठ ने अस्थाना के वकील से पूछा कि आखिर वह बिना नोटिस भेजे अंतरिम राहत का फायदा कैसे उठा सकते हैं। रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि प्रोसेस फीस न जमा करने के कारण नोटिस नहीं भेजा जा सका। पीठ ने अस्थाना के वकील अमरेंद्र सरन को तीन दिन के अंदर नोटिस भेजने को कहा। इस पर सरन ने कहा कि वह गुरुवार को आलोक वर्मा को नोटिस व याचिका की प्रति भेज देंगे। गौरतलब है कि कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपये रिश्वत के मामले में 15 अक्टूबर को सीबीआइ ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। सीबीआइ ने डीएसपी देवेंद्र कुमार व मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया था। वहीं, राकेश अस्थाना ने सीबीआइ डायरेक्टर आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।