हाई कोर्ट ने सीबीआइ की जांच प्रक्रिया पर उठाए सवाल
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना व अन्य के खिलाफ चल रही जांच को लेकर हाई कोर्ट ने सीबीआइ पर सवाल उठाया। हाई कोर्ट ने अब तक अन्य देशों को लेटर्स रोगेटरी (साक्ष्य के लिए प्रार्थना पत्र) क्यों नहीं भेजा गया जबकि इसके आदेश जनवरी में पास हुए थे जब अस्थाना व अन्य दो लोगों की एफआइआर रद करने की याचिका को खारिज कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने सीबीआइ से पूछा कि वह समयसीमा बताएं कि कब तक लेटर्स रोगेटरी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : रिश्वतखोरी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना व अन्य के खिलाफ चल रही जांच को लेकर हाई कोर्ट ने सीबीआइ पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि अब तक अन्य देशों को लेटर्स रोगेटरी (साक्ष्य के लिए प्रार्थना पत्र) क्यों नहीं भेजा गया, जबकि इसके आदेश जनवरी में पास हुए थे, उस समय अस्थाना व अन्य दो लोगों की एफआइआर रद करने की याचिका खारिज की गई थी। सीबीआइ समयसीमा बताए कि कब तक वह लेटर्स रोगेटरी की प्रक्रिया पूरी कर लेगी।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बैनर्जी को सीलबंद दस्तावेज दाखिल करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इसमें यह भी जानकारी दी जाए कि जांच एजेंसी को लेटर्स रोगेटरी जारी करने के संबंध में कब जानकारी मिली और किन-किन अधिकारियों ने इसमें दो से तीन महीने काम किया। तारीख के साथ एक सूची तैयार की जाए और यह बताया जाए कि अधिकारियों को काम सौंपने के बाद भी अब तक लेटर्स रोगेटरी क्यों नहीं भेजे गए।
पीठ ने जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसे मालूम है कि नौकरशाही किस तरीके से काम करती है। इस पर विक्रमजीत बैनर्जी ने कहा कि सीबीआइ अधिकारी लेटर्स रोगेटरी की अहमियत जानते हैं, लेकिन इस संबंध में मार्च में फैसला लिया गया। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने मामले को 23 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
गौरतलब है कि 11 जनवरी को हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी को राकेश अस्थाना व अन्य के खिलाफ दर्ज रिश्वतखोरी के मामले में दस सप्ताह के अंदर जांच पूरी करने का आदेश दिया था। सीबीआइ ने जांच के लिए छह माह का समय मांगा था। जब अदालत ने इसे अधिक बताया तो सीबीआइ ने चार महीने देने की मांग की थी। इस पर पीठ ने 12 अप्रैल तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी।
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क्या है लेटर्स रोगेटरी
लेटर्स रोगेटरी न्यायिक प्रक्रिया के तहत अदालत की तरफ से विदेशी अदालत को भेजा जाने वाला एक औपचारिक अनुरोध है।
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यह है मामला
मीट कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने के मामले में 15 अक्टूबर को सीबीआइ ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। सीबीआइ ने डीएसपी देवेंद्र कुमार व मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया था। हाई कोर्ट ने एफआइआर रद करने की राकेश अस्थाना व देवेंद्र कुमार की मांग खारिज कर दी थी। सीबीआइ के शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद पूरे देश के सामने आया था और पूर्व सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को अंत में चयन समिति ने उनके पद से हटा दिया था।