Move to Jagran APP

इंसुलिन की तरह त्वचा में ले सकेंगे इंजेक्शन

रणविजय सिंह, नई दिल्ली हीमोफीलिया का इलाज महंगा होने के कारण अब भी ज्यादातर मरीज इलाज नहीं करा पा

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 07:27 PM (IST)
इंसुलिन की तरह त्वचा में ले सकेंगे इंजेक्शन
इंसुलिन की तरह त्वचा में ले सकेंगे इंजेक्शन

रणविजय सिंह, नई दिल्ली

loksabha election banner

हीमोफीलिया का इलाज महंगा होने के कारण अब भी ज्यादातर मरीज इलाज नहीं करा पाते। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाएं मिल भी जाए तो हर हफ्ते दो से तीन इंजेक्शन नसों में लेना मरीज के लिए पीड़ादायक होता है। हालांकि डॉक्टरों के अनुसार, हाल के दिनों में हीमोफीलिया बीमारी पर विदेशों में उम्दा शोध हुए हैं और नई दवाएं भी आई हैं। उनमें से एक इंजेक्शन (दवा) ऐसा है, जिसे मधुमेह में लगने वाले इंसुलिन की तरह त्वचा में लिया जा सकेगा। देश में भी इस दवा का मरीजों पर ट्रायल चल रहा है और जल्द ही इलाज के लिए उपलब्ध हो जाएगी।

नई दवा के उपलब्ध होने से हीमोफीलिया के इलाज का पूरा प्रोटोकॉल बदल जाएगा। 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलिया दिवस है। देश में करीब डेढ़ लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। नई दवा से इन्हें बड़ी राहत मिलेगी। लोकनायक अस्पताल स्थित हीमोफीलिया सेंटर के प्रमुख डॉ. नरेश गुप्ता ने कहा कि रक्त में फैक्टर आठ व फैक्टर नौ प्रोटीन की कमी के कारण यह बीमारी होती है। फैक्टर आठ की कमी होने पर हीमोफीलिया ए व फैक्टर बी की कमी होने पर हीमोफीलिया बी बीमारी होती है। इससे पीड़ित मरीज के शरीर के किसी भी हिस्से में आंतरिक या बाहरी रक्तस्राव होने लगता है और रक्त जमकर ट्यूमर का रूप ले लेता है। हीमोफीलिया ए की बीमारी से पीड़ित मरीज को हर सप्ताह फैक्टर आठ के तीन इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। वहीं हीमोफीलिया बी होने पर हर सप्ताह फैक्टर नौ के दो इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। यह इंजेक्शन नसों में दिए जाते हैं। हर सप्ताह नसों में इंजेक्शन लगाने से मरीज को पीड़ादायक स्थिति से गुजरना पड़ता है। अब ऐसा इंजेक्शन भी उपलब्ध है, जिसे सप्ताह में सिर्फ एक बार लगाने से मरीज को रक्तस्राव नहीं होता। डॉ. नरेश गुप्ता ने कहा कि त्वचा में इंजेक्शन के रूप में लेने वाली नई दवा को महीने में सिर्फ एक बार लेना पड़ेगा। उम्मीद है कि जल्द ही यह दवा यहां उपलब्ध हो जाएगी।

पुरानी दवाओं में भी बदलाव : डॉक्टर कहते हैं कि हीमोफीलिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली पुरानी दवाओं को पहले रेफ्रिजेरेटर में रखना पड़ता था। सामान्य तापमान में रखने पर दवा प्रभावहीन हो जाती थी। अब पुरानी दवाओं में भी बदलाव किया गया है, जिससे उसे रेफ्रिजेरेटर में रखने की जरूरत नहीं पड़ती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.