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डायल के खिलाफ कठोर कार्रवाई न करे छावनी परिषद: हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली छावनी परिषद को निर्देश दिया कि वर्ष 2016-19 के कार्यकाल के करीब 2600 करोड़ रुपये संपत्ति कर के मामले में वह दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के खिलाफ फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई नहीं करे। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब छावनी परिषद ने जवाब दाखिल करने के लिए

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 07:01 PM (IST)
डायल के खिलाफ कठोर कार्रवाई न करे छावनी परिषद: हाई कोर्ट
डायल के खिलाफ कठोर कार्रवाई न करे छावनी परिषद: हाई कोर्ट

- छावनी परिषद के 2600 करोड़ के संपत्ति कर को डायल ने दी थी चुनौती

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- डायल के जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए छावनी परिषद ने मांगा और जवाब

-------------------------------- जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली छावनी परिषद को निर्देश दिया कि वर्ष 2016-19 के कार्यकाल के करीब 2600 करोड़ रुपये संपत्ति कर के मामले में वह दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के खिलाफ फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई न करे। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब छावनी परिषद ने जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने की मांग की। 22 जुलाई को डायल की याचिका पर पीठ ने केंद्र व छावनी परिषद से जवाब मांगा था, लेकिन केंद्र व परिषद ने जवाब नहीं दाखिल किया। डायल इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आइजीआइ) हवाई अड्डे को संचालित करता है।

मुख्य पीठ ने केंद्र व छावनी परिषद को जवाब दाखिल करने के लिए और समय देते हुए कहा कि डायल के खिलाफ अगली सुनवाई तक कोई कठोर कार्रवाई न की जाए। याचिका पर अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी। डायल ने 22 जुलाई को सुनवाई के दौरान छावनी परिषद के 15 जून के फैसले पर रोक लगाने व 30 दिन के अंदर बकाया धनराशि का भुगतान न करने पर उसके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न करने की मांग की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया था।

याचिका के अनुसार, हवाई अड्डे की भूमि का एक हिस्सा दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसके लिए डायल नागरिक निकाय को संपत्ति कर का भुगतान करता है। शेष हिस्से के लिए छावनी परिषद संपत्ति कर की मांग करता रहा है। याचिका में कहा कि वर्ष 2016 में छावनी परिषद ने सबसे पहले 9.01 करोड़ रुपये की मांग उठाई थी।

परिषद के 15 जून के फैसले पर रोक लगाने और तत्काल कार्रवाई करने से रोकने के मामले में अंतरिम आदेश पारित करने से 22 जुलाई को हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया था। हालांकि, मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने गृह मंत्रालय, रक्षा और नागरिक उड्डयन, दिल्ली छावनी परिषद (डीसीबी) और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) को नोटिस जारी कर 12 अगस्त तक जवाब मांगा था।

पीठ ने कहा था कि अगर डीसीबी द्वारा कोई कार्रवाई की गई तो डायल पीठ के समक्ष एक आवेदन ले सकता है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी ने मंत्रालयों की ओर से नोटिस स्वीकार किया था। केंद्र व डीसीबी ने डायल की याचिका का विरोध करते हुए याचिका की स्थिरता पर भी सवाल उठाया था। 15 जून के आदेश को रद करने की मांग के साथ ही कहा था कि जिस जमीन पर आइजीआइ स्थित है वह छावनी की नहीं है और यह छावनी परिषद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।


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