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डीपीसीसी में 50 लाख रुपये जमा करे डीडीए: हाई कोर्ट

समलखा-द्वारका रोड पर वर्षा जल नाले में गंदा पानी एवं कचरा डालने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को 50 लाख रुपये दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) में जमा करने का निर्देश दिया। वर्षा जल नाले में गंदा पानी एवं कचरा डालने के आरोप ने डीपीपीसी ने 10 जुलाई को डीडीए पर 50 लाख रुपए का पर्यावरण हर्जाना लगाया था। डीडीए ने डीपीसीसी के इस फैसले को चुनौती दी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 06:38 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:38 PM (IST)
डीपीसीसी में 50 लाख रुपये जमा करे डीडीए: हाई कोर्ट
डीपीसीसी में 50 लाख रुपये जमा करे डीडीए: हाई कोर्ट

- डीडीए की चुनौती याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

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- डीपीसीसी ने डीडीए को दिया था 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति जमा करने का आदेश

--------------------------- जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

समलखा-द्वारका रोड पर बरसाती नाले में गंदा पानी व कचरा डालने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को 50 लाख रुपये दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) में जमा करने का निर्देश दिया है। बरसाती नाले में गंदा पानी व कचरा डालने के आरोप में डीपीसीसी ने 10 जुलाई को डीडीए पर 50 लाख रुपये का पर्यावरण हर्जाना लगाया था। डीडीए ने डीपीसीसी के इस फैसले को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने डीडीए को निर्देश दिया कि वह फिलहाल हर्जाने की 50 लाख रुपये की रकम जमा कराए। उन्होंने कहा कि यह हर्जाना याचिका पर अंतिम फैसले का फल माना जाएगा। पीठ ने साथ ही डीपीसीसी से इस मामले में जवाब मांगा और सुनवाई 20 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

डीडीए ने याचिका दायर कर कहा था कि अधिकार क्षेत्र के बाहर होने के बावजूद भी डीपीसीसी ने उस पर 10 जुलाई को 50 लाख रुपये का हर्जाना लगाया। पर्यावरण कानून के तहत डीपीसीसी को उस पर 50 लाख रुपये का हर्जाना लगाने का अधिकार नहीं है। डीडीए ने कहा कि डीपीसीसी ने पर्यावरण कानून के साथ जल संबंधी कानून के तहत हर्जाना लगाया है और इन दोनों कानून के तहत हर्जाना लगाने का उसे अधिकार नहीं है। डीडीए ने दलील दी कि इस रोड के नाले की देखभाल की जिम्मेदारी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम व दिल्ली जल बोर्ड की है। डीडीए ने उस पर लगाए गए जुर्माने के आदेश को रद करने का निर्देश देने की मांग की।


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