मधुमेह मरीजों के लिए गुड न्यूज: लेवोसेटिरिज़िन दवा से घटा किडनी क्षति का खतरा, नए अध्ययन से मिला यह परिणाम
मधुमेह रोगियों के लिए खुशखबरी! एक नए अध्ययन के अनुसार, लेवोसेटिरिज़िन नामक दवा किडनी की क्षति के खतरे को कम कर सकती है। यह दवा, जो आमतौर पर एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोग की जाती है, अब किडनी को स्वस्थ रखने में भी मददगार साबित हो सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका नियमित सेवन किडनी के लिए फायदेमंद हो सकता है।

किडनी क्षति को रोकने में सहायक साबित हो रही लेवोसेटिरिज़िन।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मधुमेह के मरीजों के लिए एक आशाजनक खबर आई है। एलर्जी की सस्ती दवा लेवोसेटिरिज़िन अब किडनी क्षति को रोकने में सहायक सिद्ध हो रही है। जर्नल ऑफ डायबिटीज एंड इट्स कॉम्प्लिकेशंस में छपे नए अध्ययन से पता चला है कि यह सामान्य एंटी-हिस्टामिन दवा मधुमेही नेफ्रोपैथी की प्रगति को धीमा कर सकती है।
मधुमेही नेफ्रोपैथी मधुमेह की गंभीर जटिलता है, जो हर तीन में से एक मरीज को प्रभावित करती है और किडनी विफलता का प्रमुख कारण बनती है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि उर्टिकारिया (पित्ती) और हाई फीवर के लिए लंबे समय से इस्तेमाल हो रही इस कम कीमत वाली दवा को मानक मधुमेह उपचार के साथ देने पर किडनी कार्य में उल्लेखनीय सुधार होता है। तीन महीने के तुलनात्मक परीक्षण में, दवा लेने वाले समूह में मूत्र एल्ब्यूमिन-से-क्रिएटिनिन अनुपात (यूएसीआर) काफी कम हुआ।
सूजन मार्कर्स जैसे ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर-अल्फा (टीएनएफ-ए) और सिस्टेटिन सी में गिरावट आई। एचबीए-सी स्तर सुधरा, जो रक्त शर्करा के बेहतर नियंत्रण का संकेत है। ईजीएफआर में मामूली बदलाव देखा गया, जो परीक्षण की छोटी अवधि के कारण संभव है।
यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लेवोसेटिरिज़िन सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करती है, जिससे किडनी क्षति धीमी होती है। यह सुरक्षित, सस्ती और आसानी से उपलब्ध है।
डॉ. जयंत कुमार होटा, नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल
जहां मधुमेह का वैश्विक बोझ सबसे अधिक है, दवा पुन:उपयोग गेम-चेंजर साबित हो सकता है। "गरीब मरीजों के लिए यह पहुंच योग्य विकल्प होगा।
डॉ. राखी सुराना, नेफ्रोलॉजी प्रमुख, राम मनोहर लोहिया अस्पताल
भारत लिए आशाजनक परिणाम
भारत के संदर्भ में ये निष्कर्ष विशेष रूप से आशाजनक हैं। यहां मधुमेह 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को प्रभावित करता है, और उन्नत चिकित्सा सीमित है। लेवोसेटिरिज़िन की विरोधी-सूजन व विरोधी-ऑक्सीडेंट गुण इसे आदर्श बनाते हैं। मुख्य लाभ: किडनी मार्कर्स सुधार, सूजन कमी, शर्करा नियंत्रण वृद्धि। हालांकि परिणाम प्रारंभिक हैं, शोधकर्ता बड़े क्लिनिकल परीक्षणों की सलाह देते हैं।
यह दवा पुन:उपयोग रणनीति भारत की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में मददगार होगी। यदि पुष्टि हुई, तो मधुमेही किडनी रोग प्रबंधन में कम लागत वाली सहायक दवा बनेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गरीबी रेखा से नीचे के मरीजों के लिए वरदान सिद्ध होगी, जहां महंगी दवाएं पहुंच से बाहर हैं। कुल मिलाकर, यह अध्ययन मधुमेह प्रबंधन में नई उम्मीद जगाता है, जहां सस्ते समाधान जीवन बचा सकते हैं।

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