टोयोटा की लग्जरी कारों की बुकिंग के नाम पर लाखों की ठगी, फर्जी फर्म बनाकर चूना लगाने वाला जालसाज गिरफ्तार
एक जालसाज, जिसने सट्टेबाजी में पैसे हारने के बाद फर्जी फर्म बनाकर महंगी गाड़ियों की बुकिंग के नाम पर लोगों से 44 लाख रुपये से अधिक की ठगी की, उसे क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने गैलेक्सी टोयोटा से मिलती-जुलती एक फर्जी कंपनी बनाई और ग्राहकों को जाली दस्तावेजों के माध्यम से भुगतान करने के लिए कहा। उसने जुए में हुए नुकसान की भरपाई के लिए इस पैसे का इस्तेमाल किया।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सट्टेबाजी में लाखों रुपये गंवा दिए तो आरोपी ने कार बेचने की फर्जी फर्म बनाकर लोगों से धोखाधड़ी कर 44 लाख रुपये ठग लिए। आखिरकार क्राइम ब्रांच की टीम ने मास्टरमाइंड को दबोच लिया, जिसकी पहचान युधिश चंद के रूप में हुई है। आरोपी ने गैलेक्सी टोयोटा से मिलती-जुलती मेसर्स गैलेक्सी कार्स नाम से एक फर्जी फर्म बनाई और ग्राहकों को म्यूल बैंक अकांउट में भुगतान करने के लिए प्रेरित किया।
उपायुक्त आदित्य गौतम के मुताबिक, गैलेक्सी ऑटोमोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड, शालीमार बाग शाखा के निदेशक ने कंपनी के एक कर्मचारी, युधीश चंद के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपी बीते वर्ष 24 जून को कंपनी में सेल्स एक्जीक्यूटिव के रूप में शामिल हुआ था।
बाद में, यह पता चला कि उसने ग्राहकों को गाड़ियां दिलाने के नाम पर लाखों रुपये ठग लिए। इसी वर्ष 26 अगस्त कई ग्राहकों ने कंपनी को बताया कि आरोपित ने फर्म की ओर से उनसे भुगतान तो लिया था, लेकिन उनके गाड़ियां नहीं मिलीं। 17 अगस्त से आरोपित ने कार्यालय आना भी बंद कर दिया था।
पूछताछ में पता चला कि आरोपी ने धोखे से 'गैलेक्सी कार्स' नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई थी और उसे गैलेक्सी ऑटोमोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी बताकर गलत जानकारी दी थी।
इस फर्जी नाम से उसने अपने निजी बैंक खाते में कुल 44,58,576 जमा कर लिए। इसके अलावा, उसने टोयोटा फार्च्यूनर और टोयोटा हाइराइडर सहित कई वाहनों की फर्जी बिक्री के लिए डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) और वित्तीय दस्तावेजों में भी हेराफेरी की, जिससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ।
31 अक्टूबर क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। इस दौरान कई पीड़ितों के बयान दर्ज किए गए। आरोपी के बैंक खाते की जांच में पता चला कि यह खाता गैलेक्सी कार्स के नाम से केवल ग्राहकों से प्राप्त धन को इधर-उधर करने के लिए खोला गया था।
एसीपी रमेश चंद्र की देखरेख में और इंस्पेक्टर कमल कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की गई। तलाशी के दौरान पता चला कि आरोपी ऑनलाइन जुए का आदी था और उसकी लत के कारण 2019 में उसके परिवार ने उसे निकाल दिया था।
तकनीकी निगरानी के आधार पर छह नवंबर को उसे हैदरपुर से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने जुए की लत कुबूल की और गैलेक्सी टोयोटा से मिलती-जुलती मेसर्स गैलेक्सी कार्स नाम से एक फर्जी एमएसएमई फर्म बनाने और करूर वैश्य बैंक में एक चालू खाता खोलने की बात स्वीकार की।
उसने ग्राहकों से प्राप्त धन का दुरुपयोग कर जुए में हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे अपने निजी खाते में जमा कर लिया। उसने जाली डिलीवरी आर्डर का उपयोग करके ग्राहकों को दो वाहन डिलीवर करने की बात भी कबूल की।

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