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देश में पहली बारः डॉक्टरों ने मरीज को बिना सिले हृदय का वॉल्व लगाया

ओपन हार्ट सर्जरी हो और वॉल्व लगाने के बाद इसकी स्टिच (सिलाई) न करनी पड़े, क्या ऐसा संभव है, लेकिन दिल्ली के बीएलके अस्पताल के डॉक्टरों ने 54 वर्षीय एक विदेशी मरीज के हृदय का ऑपरेशन करके वॉल्व लगाया लेकिन इस वॉल्व की सिलाई नहीं करनी पड़ी।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2015 08:21 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2015 09:32 PM (IST)
देश में पहली बारः डॉक्टरों ने मरीज को बिना सिले हृदय का वॉल्व लगाया

नई दिल्ली। ओपन हार्ट सर्जरी हो और वॉल्व लगाने के बाद इसकी स्टिच (सिलाई) न करनी पड़े, क्या ऐसा संभव है, लेकिन दिल्ली के बीएलके अस्पताल के डॉक्टरों ने 54 वर्षीय एक विदेशी मरीज के हृदय का ऑपरेशन करके वॉल्व लगाया, लेकिन इस वॉल्व की सिलाई नहीं करनी पड़ी।

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डॉक्टरों ने देश में पहली बार बिना सिलाई का वॉल्व (सुचरलेस/स्टिचलेस) लगाने का दावा किया है। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि यह तकनीक हृदय के वॉल्व की बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है।

बीएलके अस्पताल के कॉर्डियो सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार व निदेशक डॉ. सुशांत श्रीवास्तव ने कहा कि फिजी का रहने वाला एक मरीज केएस नारायण ओपीडी में आया था। उसे सांस लेने में काफी दिक्कत थी और सीने में दर्द की शिकायत भी थी। जांच में पता चला कि उसके हृदय की महाधमनी का वॉल्व संकुचित हो गया है।

इसके चलते हृदय से सामान्य रूप से रक्त का संचार नहीं हो पा रहा था। ऐसे में उसके हृदय के वॉल्व को बदलना जरूरी था। मरीज को स्टिच लेस वॉल्व के बारे में बताया गया। मरीज की सहमति से सोमवार को सर्जरी कर वॉल्व को लगा दिया गया। फिलहाल मरीज आइसीयू में है।

डॉ. सुशांत श्रीवास्तव के अनुसार उम्मीद है कि एक सप्ताह में ठीक होकर वह वापस अपने देश चला जाएगा। उन्होंने कहा कि पारंपरिक कृत्रिम वॉल्व व एनिमल वॉल्व में रिंग लगी होती है। इस वजह से खराब हो चुके हृदय के वॉल्व की जगह इन्हें लगाने के बाद उसकी सिलाई करनी पड़ती है।

सिलाई में करीब आधा घंटे का समय लगता है। गंभीर अवस्था वाले मरीजों को इससे परेशानी होती है, क्योंकि ऑपरेशन के दौरान मरीज हार्ट लंग मशीन के सहारे रहता है और उसका हृदय स्थिर रहता है। ऐसे में ऑपरेशन जितना जल्दी होगा, मरीज के लिए फायदेमंद होगा।

डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि नया वॉल्व भी एनिमल वॉल्व है लेकिन इसमें रिंग नहीं होती। लिहाजा मरीज के बेकार वॉल्व को काट कर हटाने के बाद नया वॉल्व लगा दिया गया। महाधमनी से जोड़ने के लिए वॉल्व की सिलाई करने की जरूरत नहीं पड़ी। वॉल्व लगाने के बाद हृदय को बंद कर दिया गया।

मौजूदा समय में ऐसी भी तकनीक आ चुकी है, जिसकी मदद से बिना ऑपरेशन किए हृदय का वॉल्व लगाया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि इस तकनीक से खराब हुए वॉल्व को निकाला नहीं जा सकता। इसलिए स्टिचलेस वॉल्व ज्यादा उपयुक्त है।


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