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प्रवासी मजदूरों को पंजीकृत करने के लिए तंत्र की अत्यंत जरूरत

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण का नवीनीकरण कराने के लिए एक तंत्र की अत्यंत आवश्यकता है ताकि उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा सके।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 12:27 AM (IST)
प्रवासी मजदूरों को पंजीकृत करने के लिए तंत्र की अत्यंत जरूरत
प्रवासी मजदूरों को पंजीकृत करने के लिए तंत्र की अत्यंत जरूरत

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

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दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण का नवीनीकरण कराने के लिए एक तंत्र की अत्यंत आवश्यकता है, ताकि उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा सके। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने देश में प्रवासी मजदूरों को पंजीकरण करने के संबंध में पोर्टल को लेकर केंद्र सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। पीठ ने इसके साथ ही पंजीकरण की प्रक्रिया से जुड़े दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार के अधिकारियों को वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से अगली सुनवाई पर पेश होने का आदेश दिया। याचिका पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

दिल्ली सरकार ने कहा कि बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का पंजीकरण किया गया है और इसके तहत निर्माण कार्य करने वाले मजदूरों के लिए कई योजनाएं भी हैं। इन मजदूरों का पंजीकरण ई-डिस्ट्रिक पोस्टल के माध्यम से किया जाता है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान 39600 पंजीकरण किए गए हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली में किसी भी ठेकेदार या फिर निर्माण कार्य करने वाले मजूदर ने इंटर-स्टेट माइग्रेंट वर्कमैन एक्ट-1979 के तहत पंजीकरण या लाइसेंस के लिए कोई आवेदन नहीं किया है।

सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार अलेदिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने मजदूरों के लिए कई राहत योजना चलाई, लेकिन पंजीकरण न होने के कारण बड़ी संख्या में निर्माण कार्य करने वाले मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिला। क्योंकि उनका पंजीकरण नहीं था। याचिका में सभी मजदूरों का बिल्डिग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के तहत पंजीकरण नहीं किया गया था।


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