Move to Jagran APP

छावनी में इस मानसून फल व फूल वाले पौधे लगाने पर जोर

श्वद्वश्चद्धड्डह्यद्बह्य श्रठ्ठ श्चद्यड्डठ्ठह्लद्बठ्ठद्द ह्लद्धद्बह्य द्वश्रठ्ठह्यश्रश्रठ्ठ द्घह्मह्वद्बह्ल ड्डठ्ठस्त्र द्घद्यश्र2द्गह्म श्चद्यड्डठ्ठह्ल द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग ष्ड्डद्वश्च

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 11:05 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 11:05 PM (IST)
छावनी में इस मानसून फल व फूल वाले पौधे लगाने पर जोर
छावनी में इस मानसून फल व फूल वाले पौधे लगाने पर जोर

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : दिल्ली छावनी इलाके में फैली हरियाली के चलते फिलहाल वहां दिल्ली के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले प्रदूषण स्तर काफी कम है। पर प्रदूषण को जड़ से खत्म करने के लिए छावनी परिषद का जोर हर साल की तरह इस बार भी फल व फूल वाले पौधे लगाने पर अधिक रहेगा। असल में फल व फूल वाले पौधे लगाने से न सिर्फ प्रदूषण स्तर दोगुनी रफ्तार से कम होता है, बल्कि इससे क्षेत्र में पक्षियों व मधुमक्खियों का भी बसेरा होता है।

loksabha election banner

अधिकारियों के मुताबिक अभी तक छावनी में कभी भी नियोजित ढंग से या फिर सोच-समझकर पौधरोपण नहीं किया गया है। ऐसे में छावनी हरा-भरा तो है, लेकिन उनसे प्रदूषण स्तर कम हो, यह जरूरी नहीं है। फरवरी, 2016 में छावनी में पेड़ों की गिनती हुई थी, उस दौरान इन पेड़ों की संख्या 12 हजार 569 सामने आई थी। 2018 व 2019 में छावनी परिषद की ओर से करीब 1461 फल युक्त पौधे लगाए गए थे। फल युक्त पौधों में विशेष जोर आम, जामुन, अमरूद व नीम पर है। खास बात यह है कि ये तमाम पौधे बीज से लगाए गए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक बीज से लगाए जाने वाले पौधों का विकास हर मौसम में संभव है। इन पौधों पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होती, जबकि ग्राफटिग कर लगाए गए पौधों में मेहनत अधिक है। पर्यावरण के लिहाज से बीज वाले पौधे अधिक कारगर हैं और इनका जीवन भी अधिक है। इसके अलावा वैज्ञानिकों की मानें तो झाड़ियों वाले पौधे प्रदूषण स्तर को कम करने में सबसे अधिक कारगर हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए छावनी परिषद में एक लाख नौ हजार 290 झाड़ियों युक्त पौधे लगाए गए हैं। साथ ही दो हजार 463 अन्य पौधे बीते दो साल में लगे हैं, जिसमें चंपा, गुलमोहर, गुडहल व अर्जुन के पौधे शामिल हैं। मानसून दिल्ली में दस्तक दे चुका है, ऐसे में इस बार भी छावनी परिषद क्षेत्र में पौधरोपण की योजना बना रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.