कुत्ता काटा तो सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलेगा इलाज
एक तरफ केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही है लेकिन राजधानीवासी रेबिज के इंजेक्शन के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। दिल्ली सरकार और तीनों निगमों के अस्पतालों में रेबिज के इंजेक्शन नहीं है। जिसकी वजह से लोगों को भटकना पड़ रहा है।
सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली : एक तरफ केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही है, लेकिन राजधानीवासी रेबीज के इंजेक्शन के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।
दिल्ली सरकार और तीनों निगमों के अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन नहीं हैं। जिसकी वजह से लोगों को भटकना पड़ रहा है। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेबीज के इंजेक्शन हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग वहां नहीं पहुंच पा रहे हैं, जो पहुंच भी रहे हैं वहां उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंच रहे हैं।
मंडावली में रहने वाले अंकुर वर्मा की पांच साल की बेटी को कुत्ते ने काट लिया। वह बेटी को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में चक्कर काटते रहे। पहले वह एलबीएस गए वहां से हेडगेवार अस्पताल पहुंचे, फिर लोकनायक और आरएमएल अस्पताल पहुंचे। सभी जगहों से निराशा हाथ लगी। यहीं पर उन्हें पता चला कि सफरदरजंग अस्पताल में इंजेक्शन लग जाएगा। वहां पहुंचने पर इंजेक्शन लगा, लेकिन दोबारा इंजेक्शन लगवाने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ी। क्योंकि दिल्ली के अन्य अस्पतालों में इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से यहां भारी भीड़ हो रही है। वर्मा कहते हैं कि सफदरजंग में इंजेक्शन लगवाना जंग जीतने की तरह है।
समाजसेवी और भाजपा नेता भगवत रूस्तगी कहते हैं कि सूरजमल विहार ए ब्लॉक के चौकीदार दिनेश कुमार को हाल ही में एक कुत्ते ने काट लिया। वह हेडगेवार से लेकर जीटीबी और स्वामी दयानंद अस्पताल पहुंचे, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला। उनके संपर्क में आया तो वह उसे लेकर विश्वास नगर के विधायक ओमप्रकाश शर्मा के पास पहुंचे। शर्मा ने कई अस्पतालों में बात की, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य समिति के चेयरमेन सोमनाथ भारती से बात की तो पता चला कि दो कंपनियां रेबीज के इंजेक्शन की आपूर्ति करती थीं, जिसमें से एक को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है और दूसरी कंपनी आपूर्ति नहीं कर पा रही है।
वह कहते हैं कि दिल्ली सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की बात करती है, लेकिन रेबीज के इंजेक्शन को लेकर लोग महीनों से भटक रहे हैं, इसकी किसी को चिता नहीं है। वह कहते हैं कि कॉलोनियों में लावारिस कुत्तों की भरमार हो गई है। अब तो कुत्ते मकान की सीढि़यों पर पहुंच जाते हैं और लोगों को शिकार बना लेते हैं। इन पर कोई लगाम नहीं लगा रहा है। आठ महीने का स्टॉक दो महीने में हो गया खत्म
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अस्पताल स्वामी दयानंद में रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध था, लेकिन वह भी खत्म हो गया है। स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन सचिन शर्मा कहते हैं कि अस्पताल में रेबीज के इंजेक्श्न की कमी नहीं थी हमने आठ महीने का स्टॉक रखा था, लेकिन दिल्ली के अस्पतालों में इंजेक्शन न मिलने के कारण यमुनापार के अलावा दिल्ली के दूसरे हिस्से से भी लोग यहां आने लगे, जिस कारण स्टॉक दो महीने में ही खत्म हो गया। रेबीज के इंजेक्शन की कमी की वजह से लोगों को काफी दिक्कत हो रही है। हाल ही में पूर्वी निगम के जन स्वास्थ्य विभाग ने ढाई हजार इंजेक्शन खरीदे थे। सामान्य स्थिति में इतने इंजेक्शन से तीन महीने तक काम हो जाता, लेकिन ये 20 दिन में ही खत्म हो गए। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने अपने स्तर पर 15-15 हजार रुपये के इंजेक्शन की स्थानीय खरीद की, लेकिन वो भी खत्म हो गए। एक इंजेक्शन करीब पौने तीन सौ रुपये में आता है। अस्पताल प्रशासन स्थानीय स्तर पर अधिक राशि के इंजेक्शन नहीं खरीद सकता है। फिर भी लोगों की परेशानी को देखते हुए इंजेक्शन खरीदे जाएंगे। एक दिन तो अस्पताल में 500 लोगों को रेबीज के इंजेक्शन लगाए गए थे, क्योंकि अन्य अस्पतालों में इंजेक्शन ही नहीं थे।
- डॉ. रजनी खेडवाल, चिकित्सा अधीक्षक, स्वामी दयानंद अस्पताल।