फंड में भेदभाव के चलते बदहाल हो रहे सरकारी विद्यालय
हर्षित वर्मा, पूर्वी दिल्ली सरकार की ओर से विद्यालयों के लिए मिलने वाले सुबह-शाम के फंड में
हर्षित वर्मा, पूर्वी दिल्ली
सरकार की ओर से विद्यालयों के लिए मिलने वाले सुबह-शाम के फंड में भेदभाव के चलते विद्यालयों की स्थिति बदतर हो रही है। इस वजह से सरकारी विद्यालयों में सुबह-शाम के प्रधानाचार्य आपस में फंड को लेकर भिड़ते हैं। इस कारण स्कूलों की देखरेख में तो दिक्कत होती ही है, साथ ही विद्यार्थियों की पढ़ाई में भी व्यवधान होता है। दरअसल, सरकार की ओर से सुबह की पाली में चलने वाले बालिका विद्यालयों के लिए चार लाख रुपये दिए जाते हैं। शाम की पाली में पढ़ने वाले बाल विद्यालय के लिए मात्र एक लाख रुपये दिए जाते हैं। ऐसे में सुबह की पाली में मिलने वाले फंड की अधिक मात्रा के चलते प्रधानाचार्यो में तनातनी बनी रहती है। वहीं सरकार के आदेशानुसार सुबह की पाली में मिलने वाले फंड से ही विद्यालय की देखरेख आदि का कार्य किया जाता है, लेकिन कई विद्यालयों में प्रबंधन की ओर से स्कूलों की देखरेख नहीं की जाती है। इसका खामियाजा शाम की पाली वाले विद्यार्थियों को उठानी पड़ती है। नाम न छापने की शर्त पर त्रिलोकपुरी स्थित एक विद्यालय के प्रधानचार्य ने बताया कि यहां सरकार की ओर से तीन हॉल बनाए गए थे, जिन्हें दोनों पाली के लिए इस्तमाल करना था। प्रधानचार्य ने मनमानी कर हॉल में ताला लगा दिया था। इसी के साथ स्कूल में पानी की समस्या बनी हुई है। सुबह की पाली में प्रबंधन की ओर से लापरवाही बरती जाती है। इस वजह से शाम को पानी न आने की वजह से बच्चों को पानी की किल्लत होती है। उनका कहना है कि अगर हम अलग से पानी की मोटर लगवाते हैं तो उसके लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि स्कूल में बिजली और सीटों को भी दुरुस्त नहीं कराया जाता है, जिससे शाम के बच्चों को दिक्कत होती है।
त्रिलोकपुरी राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय में मैनेजमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ वकील उमेश गुप्ता ने बताया कि इस दिक्कत से निपटने के लिए शिक्षा निदेशालय को सुझाव दिया गया है। उन्होंने बताया कि सुबह और शाम की पाली को मिलने वाले फंड में भेदभाव हटाकर समान कर दिया जाए। जो पांच लाख रुपये सरकार की ओर से दिए जाते हैं उनमें से दोनों पानी के प्रधानचार्य को एक-एक लाख दिए जाएं। बाकी तीन लाख रुपये दोनों पाली के लिए निर्माण आदि कार्य के लिए दिए जाएं। इससे मैनेजमेंट कमेटी में शामिल दोनों प्रधानचार्यो और एसएमसी के सदस्यों की देखरेख में कार्य किया जा सकेगा।