क्लस्टर आधार पर पार्किंग ठेका देने के विरोध में उतरे पार्षद
पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में क्लस्टर (विशेष क्षेत्र) बनाकर पार्किंग देने के विरोध में पार्षद उतर आए। पक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर नगर निगम के अधिकारियों को घेरा। पार्षदों ने कहा कि स्थायी समिति अधिक शक्तिशाली है लेकिन अधिकारी इस समिति की ही अवहेलना कर रहे हैं। बिना स्थायी समिति से चर्चा के ही नए प्रावधान ला रहे हैं और इसकी जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से मिल रही है।
स्थायी समिति के चेयरमैन ने पुरानी व्यवस्था कायम रखने की बात कही
नगर निगम के अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से लगा दिया उपनियम
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में क्लस्टर (विशेष क्षेत्र) बनाकर पार्किंग देने के विरोध में पार्षद उतर आए। पक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर नगर निगम के अधिकारियों को घेरा। पार्षदों ने कहा कि स्थायी समिति अधिक शक्तिशाली है, लेकिन अधिकारी इस समिति की ही अवहेलना कर रहे हैं। बिना स्थायी समिति से चर्चा के ही नए प्रावधान ला रहे हैं और इसकी जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से मिल रही है।
पूर्व महापौर व स्थायी समिति के सदस्य बिपिन बिहारी सिंह ने कहा कि पार्किंग ठेका देने की जो नई नीति लाई जा रही है, उससे सत्तारूढ़ भाजपा की बदनामी हो रही है। अधिकारियों ने नया नियम बना लिया, लेकिन इसकी जानकारी स्थायी समिति को नहीं दी। इस नई योजना के तहत पूर्वी निगम में दो क्लस्टर होंगे, जिसमें सभी पार्किंग स्थल दो ठेकेदारों को दे दिए जाएंगे। वर्तमान में जो टेंडर निकला हुआ है, उसके नियम व शर्तो में यह तथ्य जोड़ा गया है कि क्लस्टर पार्किंग के तहत ठेका देने की प्रक्रिया पूरी होते ही वर्तमान सभी पार्किंग ठेके निरस्त कर दिए जाएंगे। इसके बाद ये ठेकेदार क्लस्टर पार्किंग का ठेका लेने वाली कंपनी से जुड़ सकते हैं। पूर्व महापौर ने कहा कि इससे ठेकेदार सड़कों पर आ जाएंगे, उनकी पार्टी की नीति है कि लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराएं, लेकिन यहां उसके विपरीत हो रहा है। साजिश के तहत फायदा पहुंचाने के लिए यह नीति लाई जा रही है। क्योंकि क्लस्टर पार्किंग के साथ जो शर्त है, उसमें वर्तमान ठेकेदार टेंडर नहीं भर पाएंगे। इसके तहत यह व्यवस्था भी नहीं की गई है कि कुछ ठेकेदार मिलकर संयुक्त उपक्रम बनाकर टेंडर भर सकें। उन्होंने उदाहरण पेश करते हुए कहा कि क्लस्टर पार्किंग में जितना मुनाफा दिखाया जाता है, वास्तव में उतना नहीं मिलता। उन्होंने बताया कि कनॉट प्लेस में पहले अलग-अलग ठेकेदार थे, इससे एनडीएमसी को 2.25 करोड़ रुपये मिलते थे, लेकिन क्लस्टर पार्किंग योजना को अपनाने के बाद अब मात्र 75 लाख रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं। उन्होंने वर्तमान टेंडर नियमों से क्लस्टर पार्किंग के लिए दिए गए प्रावधान को हटाने की मांग की। सत्यपाल सिंह और विपक्ष के पार्षद अब्दुल रहमान ने कहा कि पार्किंग ठेका देने की यह योजना किसी भी रूप में निगम व उसके ठेकेदारों के हित में नहीं है। 50 करोड़ तक की हो सकती है आमदनी : बृजेश सिंह
अतिरिक्त आयुक्त डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि निगम की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ही क्लस्टर योजना लाई जा रही है। अभी निगम को पार्किंग से 20 करोड़ रुपये मिल रहे हैं, अगर क्लस्टर पार्किंग व्यवस्था शुरू की जाती है तो इससे 40 से 50 करोड़ तक की आमदनी हो सकती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 2008 से पहले निगमकर्मी टोल वसूलते थे, तब आमदनी मात्र 20 करोड़ होती थी। इसमें से 19 करोड़ टोल पर तैनात कर्मियों के वेतन पर ही खर्च हो जाते थे, लेकिन निजी कंपनी को ठेका देते ही यह रकम सीधे 80 करोड़ रुपये पहुंच गई। नेता सदन ने की टेंडर सेल बनाने की वकालत
नेता सदन निर्मल जैन ने टेंडर सेल बनाने की मांग की, जिसका अन्य पार्षदों ने भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और इसमें कुछ भी छिपा नहीं होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि अलग से टेंडर सेल बनाया जाए, इसमें तैनात उच्च अधिकारी सिर्फ टेंडर संबंधी ही कार्य करें। स्थायी समिति के चेयरमैन संदीप कपूर ने भी कहा कि इस प्रस्ताव का आकलन किया जाना जरूरी है।