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निगमकर्मियों को पक्का करने की राह कठिन

पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की प्रक्रिया भले ही शुरू करने का दावा किया जा रहा है लेकिन इसकी राह काफी मुश्किल है। फंड की कमी से जूझ रहे निगम के लिए मौजूदा वक्त में ही सभी कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन देना मुश्किल हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 10:17 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 10:17 PM (IST)
निगमकर्मियों को पक्का करने की राह कठिन
निगमकर्मियों को पक्का करने की राह कठिन

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :

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पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की प्रक्रिया भले ही शुरू करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इसकी राह काफी मुश्किल है। फंड की कमी से जूझ रहे निगम के लिए मौजूदा वक्त में ही सभी कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन देना मुश्किल हो रहा है। कई विभागों में एक से दो महीने के इंतजार के बाद वेतन पहुंच रहा है। लेकिन सफाई कर्मचारियों की हड़ताल और कोर्ट के निर्देश के बाद भाजपा नेताओं के दबाव में निगम अधिकारियों ने स्थायी करने की प्रक्रिया पर काम करना शुरू कर दिया है। स्थायी करने के बाद बढ़ने वाले वेतन का बोझ निगम कैसे उठाएगा। इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। महापौर निर्मल जैन का कहना है कि जो हम सर्वश्रेष्ठ कर सकते हैं, वह सफाई कर्मचारियों के लिए करेंगे। हम लोग इसके लिए प्रयासरत हैं।

वित्त मामलों से जुड़े अधिकारी ने बताया कि साल 2012 में निगम का बंटवारा हुआ था। पूर्वी निगम के पास आय के संसाधन अन्य दोनों निगमों की तुलना में कम थे। 2013 में अचानक यहां पांच हजार कर्मचारियों को पक्का कर दिया गया। इससे हर साल 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने लगा। इसके बाद से ही पूर्वी निगम की वित्तीय हालत बिगड़ती चली गई। न तो कर्मचारियों को समय पर वेतन दिया जा रहा है और न ही ही पेंशन का भुगतान हो पा रहा है। किसी तरह से सफाई कर्मचारियों के लिए हर माह वेतन का इंतजाम हो पाता है। उन्होंने बताया कि 2013 में कच्चे कर्मचारियों को 11-12 हजार रुपये वेतन दिया जाता था। पक्का होते ही उनका वेतन 27-30 हजार हो गया। यानी ढाई गुणा अधिक खर्च बढ़ गया। इसका असर यह हुआ कि कर्मचारियों को पक्का करने के बाद साल 2014-15 में पेंशन के भुगतान में दिक्कत शुरू हो गई। साल 2016-17 में एरियर देने में मुश्किल आने लगी। एरियर का भुगतान कर्मचारी की जरूरत और स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाने लगा। इसके बाद साल 2018 में वेतन पर संकट आना शुरू हो गया। विधवा महिलाओं को दिया जाने वाला पेंशन बंद करना पड़ा। अधिकारी का कहना है कि अगर निगम को चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के हिसाब से फंड मिलना शुरू हो जाता तब यह संकट पैदा नहीं होता। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

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करुणामूलक आधार पर नियुक्ति शुरू

हड़ताल के बाद पूर्वी निगम ने सबसे पहले करुणामूलक आधार पर नियुक्तियों को शुरू किया है। करीब डेढ़ सौ आवेदकों का चयन हो चुका है। उन्हें 89 दिन के कार्य का आवंटन किया जाएगा। इसके बाद फिर से 89 दिन के कार्य आवंटन के बाद इन्हें दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में तैनात किया जाएगा। हालांकि, एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन के संस्थापक आरबी ऊंटवाल का कहना है कि जब तक कर्मचारियों को पक्का करना शुरू नहीं किया जाएगा, उनका धरना जारी रहेगा।


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