चुनाव आयोग ने 'आप' के 21 विधायकों को भेजा नोटिस, विपक्ष ने मांगा सीएम का इस्तीफा
संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार एक बार फिर परेशानियों में घिर गई है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को लाभ का पद मामले में कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 11 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
नई दिल्ली। संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार एक बार फिर परेशानियों में घिर गई है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को लाभ का पद मामले में कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 11 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
गौरतलब है बीते साल इन विधायकों को मुख्यमंत्री ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था। इन नियुक्तियों के खिलाफ अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति से शिकायत की थी। राष्ट्रपति ने यह मामला चुनाव आयोग को भेज दिया था जिस पर आयोग ने नोटिस जारी किया है।
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इससे पहले मई 2015 में हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को ऐसा ही नोटिस भेजा था। 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा था। यह मामला विचाराधीन है।
विपक्ष के निशाने पर 'आप'
संसदीय सचिव बनाए गए 21 विधायकों को चुनाव आयोग से नोटिस जारी होने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार पर विपक्ष का हमला तेज हो गया है। कांग्रेस ने जहां मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है वहीं, भाजपा ने सभी संसदीय सचिवों से कार्यालय खाली कराने तथा उन पर खर्च हुआ सरकारी पैसा ब्याज सहित वसूलने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि चुनाव आयोग के नोटिस के बाद उपराज्यपाल नजीब जंग को कार्रवाई करनी चाहिए। इसके लिए भाजपा के विधायक उपराज्यपाल से मिलेंगे।
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इन 21 विधायकों को भेजा गया है नोटिस
प्रवीण कुमार, शरद कुमार, आदर्श शास्त्री, मदन लाल, शिव चरण गोयल, संजीव झा, सरिता सिंह, नरेश यादव, जरनैल सिंह (तिलक नगर), राजेश गुप्ता, राजेश ऋषि, अनिल कुमार वाजपेयी, सोम दत्त, अवतार सिंह कालका, विजेंद्र गर्ग, जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन), कैलाश गहलोत, अलका लांबा, मनोज कुमार, नितिन त्यागी, सुखवीर सिंह।