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हफ्तेभर में एक ही जगह तीन भूकंपों से वैज्ञानिक भी अलर्ट

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली एक हफ्ते के भीतर दिल्ली एनसीआर में एक ही जगह तीन बार आए भूकंपों से वैज्ञानिक भी अलर्ट हो गए है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 10:28 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 10:28 PM (IST)
हफ्तेभर में एक ही जगह तीन भूकंपों से वैज्ञानिक भी अलर्ट
हफ्तेभर में एक ही जगह तीन भूकंपों से वैज्ञानिक भी अलर्ट

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

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एक हफ्ते के भीतर दिल्ली एनसीआर में एक ही जगह तीन बार आए भूकंपों से वैज्ञानिक भी अलर्ट हो गए हैं। यद्यपि उन्होंने इसे भावी खतरे का पर्याय तो नहीं माना है, अलबत्ता इसे गंभीरता से लेते हुए द्विस्तरीय योजना अवश्य बनाई है। इसके तहत अब हर छोटे भूकंप पर भी सूक्ष्म नजर रखी जा रही है तथा सोनीपत क्षेत्र का अलग से अध्ययन किया जाएगा।

दिल्ली पहले से ही सिस्मिक जोन 4 में शामिल है। अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर पूर्वी, उत्तर पूर्वी, पुरानी और नई दिल्ली क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेएल गौतम बताते हैं कि दिल्ली एनसीआर क्षेत्र अरावली एक्सटेंशन यानी दिल्ली-हरिद्वार तथा दिल्ली-देहरादून रिज लाइन से जुड़ा हुआ है। यह लाइन तकनीकी रूप से फाल्ट लाइन है। पिछले 50 सालों का इतिहास देखें तो यहां छोटे-छोटे भूकंप अक्सर आते रहते हैं। हालांकि, बडे़ भूकंप अमूमन नहीं आते हैं, लेकिन तब भी दिल्ली एनसीआर में तेजी से बढ़ती आबादी एवं निरंतर घने होते जा रहे कंक्रीट के जंगल को देखते हुए यहां आने वाले छोटे-छोटे भूकंपों पर भी सूक्ष्म नजर रखना अनिवार्य हो गया है। निर्माण कार्य बढ़ने से ढांचागत विकास और पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। ऐसे में सतत निगरानी के आधार पर ही कोई रिपोर्ट तैयार कर बचाव के उपायों पर विचार किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि इसके लिए दिल्ली में वेधशालाएं बढ़ाई जा रही हैं। एक वेधशाला तो पिछले माह ही स्थापित की गई है। कुछ अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने का भी काम चल रहा है। इन वेधशालाओं से जमीन के भीतर की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। एनसीआर में सोनीपत क्षेत्र पर भी विशेष फोकस है। ------------- लगातार इन भूकंपों को खतरनाक श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। मगर, सोनीपत क्षेत्र के लिए अलग से अध्ययन रिपोर्ट बनाने करने की तैयारी भी चल रही है। इसके आधार पर ही ठोस स्तर पर कुछ तथ्य सामने आ पाएंगे, जो भविष्य के लिए एक्शन प्लान तैयार करने में सहायक होंगे।

- डॉ. विनीत गहलौत, निदेशक, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र


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