'राम जन्मभूमि' पर चर्चा मुश्किल, एतराज से DU में बढ़ा संकट
दिल्ली विश्वविद्यालय में संगोष्ठी के विषय के साथ सम्मेलन में आने वाले मेहमानों को लेकर विवाद बढ़ गया है। डीयू प्रशासन ने संगोष्ठी के विषय पर अनभिज्ञता जताते हुए लाइब्रेरी साइंस के विभागाध्यक्ष से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।
नई दिल्ली (अभिनव उपाध्याय)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में नौ और 10 जनवरी को राम जन्मभूमि विषय पर आयोजित होने वाली संगोष्ठी पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। डीयू प्रशासन ने संगोष्ठी के विषय पर अनभिज्ञता जताते हुए लाइब्रेरी साइंस के विभागाध्यक्ष से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।
वहीं, आयोजन स्थल को बुक कराने वाले लाइब्रेरी साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह का कहना है कि उन्होंने डीयू प्रशासन और विभागाध्यक्ष को इस विषय की जानकारी दी थी।
पहले विषय धर्म और संस्कृति रखा गया था, लेकिन बाद में जब डीयू ने संगोष्ठी के विषय के साथ सम्मेलन में आने वाले लोगों की सूची मांगी तो हमने चर्चा का विषय धर्म और संस्कृति: राममंदिर पर चर्चा बताया और आने वाले लोगों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इस मामले को तूल दिया जा रहा है और विरोध शुरू होने पर डीयू प्रशासन द्वारा संगोष्ठी न करने का दबाव भी बनाया जा रहा है। डीयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लाइब्रेरी साइंस के विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि संगोष्ठी का विषय कैसे बदल गया।
पहले संगोष्ठी का विषय पुरातात्विक अवशेषों पर चर्चा बताया गया था और कहा गया था कि इस कार्यक्रम में दो केंद्रीय मंत्री हिस्सा लेंगे। वहीं, प्रो. शैलेंद्र कुमार का कहना है कि उन्हें इस विषय के बारे में ठीक से जानकारी नहीं है। उन्होंने इस संबंध में पत्र अग्रसारित किया है।
इस मामले में डॉ. केपी सिंह से स्पष्टीकरण मांगा है, लेकिन डॉ. केपी सिंह ने विभागाध्यक्ष द्वारा किसी तरह के स्पष्टीकरण मांगने से इन्कार किया है। संगोष्ठी के आयोजक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि दो दिन आयोजित होने वाली यह संगोष्ठी 12 सत्रों में होगी।