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विदेशी आक्रांता भारत का इतिहास नहीं हो सकते: इंद्रेश कुमार

फोटो: 11 डेल 105 व 106 -डीयू में राममंदिर पर हुई चर्चा, केंद्रीय गृहराज्य मंत्री समेत अन्य वरिष्ठ

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 09:28 PM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 09:28 PM (IST)
विदेशी आक्रांता भारत का इतिहास 
नहीं हो सकते: इंद्रेश कुमार
विदेशी आक्रांता भारत का इतिहास नहीं हो सकते: इंद्रेश कुमार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि विदेशी आक्रांता कभी भारत का इतिहास नहीं हो सकते। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने नस्लभेद के खिलाफ आंदोलन किया। यूरोप और अमेरिका में विवेकानंद को काफी सम्मान दिया जाता है। उनके नाम पर सैकड़ों प्रतिष्ठान हैं। वे शांति और अ¨हसा के प्रणेता थे, तब भी इन महापुरुषों को उन देशों के इतिहास में शामिल नहीं किया गया। वहीं, हमारे देश में कुछ कथित वामपंथी इतिहासकार व शिक्षाविद विदेशी आक्रांताओं को भारत के इतिहास से जोड़ते हैं।

वह दिल्ली विश्वविद्यालय के शंकर लाल ऑडिटोरियम में न्यू भारत फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेमीनार राम जन्मभूमि: चिंतन से समाधान को संबोधित कर रहे थे। इसमें केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मोहम्मद साबिर, शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विकास सिंह, बनारस ¨हदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश उपाध्याय, स्वामी दीपांकर, पूर्व आइपीएस विक्रम सिंह, समाजसेवी कुसुमलता केडिया भी शामिल रहीं। वहीं, डीयू, जेएनयू समेत अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र भी सेमीनार में भाग लिया।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि हकीकत तो यह है कि मो. कासिम से लेकर औरंगजेब तक विदेशी आक्रांताओं का इतिहास क्रूरता वाला है। यह समाज सुधार के लिए नहीं बल्कि देश को गुलाम बनाने और लूटने आए थे। इन्होंने लाखों लोगों को मारा। गुलाम बनाया। धर्मातरण किया। मंदिर और मानक प्रतिष्ठान ध्वस्त किए। उन्होंने कहा कि एक भी आक्रांताओं के खाते में विश्वविद्यालय व औद्योगिक क्षेत्र दर्ज नहीं है। हुनर को मारा, जिससे कि लोग गुलाम बन सके। वहीं, किरण रिजिजू ने कहा कि राममंदिर निर्माण का विवाद पर यह सेमीनार अच्छा प्रयास है। अगर इस विवाद का समाधान कोर्ट के बाहर हो जाए तो इससे बेहतर क्या हो सकता है। वसीम रिजवी ने कहा कि बाबर शियाओं के वश्ाज थे। इसपर बेवजह अपना दावा करते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड विवाद खड़ा किए हुए हैं। हम चाहते हैं कि इस विवाद को खत्म करने के लिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कर दिया जाए।

मो. साबिर ने कहा कि इसका समाधान बाहर हो जाए तो अच्छा है। वैसे भी खोदाई में जो तथ्य मिले हैं उसमें राम जन्म भूमि मंदिर के होने का दावा पुख्ता होता है। बाकी इसपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम है। अंत में सेमीनार के संयोजक विक्रमादित्य सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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