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डिजिटल प्रमाण पत्र को लेकर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी हार्डिंग कॉलेज से एमबीबीएस करने वाली पांच डॉक्टरों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि प्रमाण पत्र हासिल करना जश्न की बात है लेकिन कोरोना मरीजों को देखने में व्यस्त डॉक्टरों के लिए प्रमाण पत्र हासिल करना परेशानी का सबब बन गया है। डिजिटल डिग्री उपलब्ध कराने के संबंध में पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर पीठ ने डीयू के व्यवहार पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक पतन है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:07 PM (IST)
डिजिटल प्रमाण पत्र को लेकर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
डिजिटल प्रमाण पत्र को लेकर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली

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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाली पांच डॉक्टरों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि प्रमाण पत्र हासिल करना जश्न की बात है, लेकिन कोरोना मरीजों को देखने में व्यस्त डॉक्टरों के लिए प्रमाण पत्र हासिल करना परेशानी का सबब बन गया है। डिजिटल डिग्री उपलब्ध कराने के संबंध में पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर पीठ ने डीयू के व्यवहार पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक पतन है।

पीठ ने कहा कि डीयू को पर्याप्त समय देने के बाद भी डीयू ने कुछ नहीं किया और ऐसा लगता है कि डिजिटल प्रमाण पत्र जारी करने की दिशा में डीयू के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ डिजिटल दस्तावेजों के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। इस समिति में दिल्ली हाई कोर्ट आइटी विभाग के अधिकारी, डिजी-लॉकर के वरिष्ठ अधिकारी और डीयू कंप्यूटर सेंटर के संयुक्त निदेशक संजीव सिंह को रखा गया है।

पीठ ने निर्देश दिया कि उक्त अधिकारी बुधवार को डीयू में संजीव सिंह के कार्यालय में मिलेंगे और याचिकाकर्ताओं में एक की सैंपल डिग्री प्रमाण पत्र हासिल करेंगे, जिस पर डिजिटल हस्ताक्षर होना चाहिए। पीठ ने उक्त सैंपल डिग्री प्रमाण पत्र आगामी सात अगस्त को होने वाली सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष पेश किया जाए।

पिछली सुनवाई पर पीठ ने स्नातक कर चुके छात्रों की डिग्री व मार्कशीट ऑनलाइन उपलब्ध कराने के संबंध में नियम तैयार करने का निर्देश दिया था। अधिवक्ता सार्थक मग्गन के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वे लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज से वर्ष 2018 में एमबीबीएस पास कर चुकी हैं, लेकिन अब तक उन्हें डिग्री नहीं मिली है। इसके कारण आगे की पढ़ाई या शोध के लिए आवेदन नहीं कर पा रही हैं।

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सुनवाई के दौरान मौजूद डीयू कंप्यूटर सेंटर के संयुक्त निदेशक संजीव सिंह ने कहा कि वे पांच दिन के अंदर ऑनलाइन मार्कशीट व डिग्री पर प्रोटोकॉल पेश करेंगे। पीठ ने सुनवाई के दौरान संजीव सिंह को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई पर डिजिटल हस्ताक्षर के साथ पेश हों ताकि याचिकाकर्ताओं को उनके डिजिटल हस्ताक्षर के साथ डिग्री ई-मेल की जा सके।

इस दौरान डीयू के डीन (परीक्षा) विनय गुप्ता ने कहा कि डिग्री के प्रकाशन के लिए निविदा दी गई और यह तीन अगस्त को खुलेगी और इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए कदम उठाए गए हैं। पीठ ने कहा था कि जब अदालत अपना आदेश ऑनलाइन मुहैया करा सकती है तो दिल्ली विश्वविद्यालय अपने छात्रों को डिजिटल हस्ताक्षर के साथ ऑनलाइन प्रमाण पत्र क्यों नहीं मुहैया करा रही है। पीठ ने यह भी कहा था कि विश्वविद्यालय को पता होना चाहिए कि इससे छात्रों को आगे की पढ़ाई या नौकरी में काफी परेशानी हो रही है। विश्वविद्यालय को नई तकनीक की मदद लेनी चाहिए और छात्रों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र व अंकपत्र मुहैया कराना चाहिए।


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