आरोपितों की जमानत के लिए डॉक्टर ने लगाई पेशे पर लानत
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जेल में बंद आरोपितों को जमानत के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाले एक डॉक्टर व उसके साथी को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान डॉक्टर गजेंद्र कुमार नय्यर और मुकेश सांगवान के रुप में हुई है। डाक्टर ने मौलाना आजाद मेडिकल कालेज से एमबीबीएस कर रखी है। वर्तमान में वह दो स्थानों पर अपना अस्पताल चला रहा है। मुकेश सांगवान डाक्टर को ग्राहक मुहैया करवाता था। डॉक्टर दिल्ली मेडिकल काउंसिल से संबंद्ध है। फर्जीवाड़ा करने पर फिलहाल उसका सर्टिफिकेट नवंबर 2020 तक निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपितों के पास से चार मोबाइल फोन लेटरहेड और फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बरामद किया है। क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश पांवरिया ने बताया कि हाई कोर्ट ने जामिया नगर के आर्म्स एक्ट के एक आरोपित की जमानत आवेदन की जांच 29 जून को क्राइम ब्रांच को सौंपी थी। जां
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जेल में बंद आरोपितों को जमानत के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वाले एक डॉक्टर व उसके साथी को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान डॉक्टर गजेंद्र कुमार नैय्यर और मुकेश सांगवान के रूप में हुई है। गजेंद्र ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रखी है। वर्तमान में वह दो स्थानों पर अपना अस्पताल चला रहा है। मुकेश डॉक्टर को ग्राहक मुहैया करवाता था। डॉक्टर दिल्ली मेडिकल काउंसिल से संबंद्ध है। फर्जीवाड़ा करने पर फिलहाल उसका सर्टिफिकेट नवंबर तक निलंबित कर दिया गया है।
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश पांवरिया ने बताया कि हाई कोर्ट ने जामिया नगर के एक आरोपित की जमानत आवेदन की जांच 29 जून को क्राइम ब्रांच को सौंपी थी। जांच में पता चला कि आरोपित द्वारा कोर्ट में जमा कराया गया मेडिकल सर्टिफिकेट फर्जी है। यह सर्टिफिकेट डॉ. गजेंद्र कुमार नैय्यर ने आरोपित के परिवार को बनाकर दिया था। ताकि उसे इस केस में अंतरिम जमानत मिल जाए और वह सजा से बच जाए। यह भी पता चला कि डॉ. गजेंद्र द्वारका सेक्टर 18 में रहता है और वह दिल्ली मेडिकल काउंसिल के संबंद्ध है। इसके बाद इंस्पेक्टर दिनेश कुमार की टीम ने सात जुलाई को गजेंद्र कुमार और मुकेश सांगवान को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में आरोपित डॉ. गजेंद्र ने बताया कि उसने वर्ष 1979 में मौलाना आजाद मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया था। बाद में वह पढ़ाई के लिए यूनाइटेड किंगडम चला गया था। वहां उसने रॉयल कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजिस्ट से एफआरसीआर की डिग्री ली थी। वर्ष 2006 में भारत लौटने के बाद उसने अलग-अलग अस्पतालों में काम किया। इसी दौरान 2015 में उसकी मुलाकात सुनीता नाम की महिला से हुई। उसने अपने पति को जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कराने के लिए डॉक्टर से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करवाया। इस सर्टिफिकेट पर दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद महिला के पति मुकेश सांगवान को अंतरिम जमानत मिल गई। इसके बाद से मुकेश सांगवान डॉक्टर से मिलकर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने लगा था। 15 से 25 हजार रुपये में बनाता था मेडिकल सर्टिफिकेट
डॉक्टर आरोपितों के परिवार वालों से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए 15 से 25 हजार रुपये लेते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर के वर्तमान में ग्रेटर नोएडा और द्वारका मोड़ इलाके में दो नर्सिंग होम हैं। नर्सिंग होम खोलने का उद्देश्य फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर रुपये कमाना था। सरकार द्वारा एफआरसीआर की डिग्री की मान्यता नहीं होने के बावजूद डॉक्टर अवैध रूप से अपनी डॉक्टरी चला रहा था। डॉक्टर पर यह पहला मामला है। लेकिन मुकेश सांगवान पर पहले से पॉक्सो एक्ट सहित चार मुकदमें दर्ज हैं। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि फर्जीवाड़े में डॉक्टर के साथ और लोग तो नहीं जुड़े हैं।