डीजीसीए मनमर्जी से उड़ानों व पायलटों की ड्यूटी में कैसे बदलाव कर सकता है
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार क
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से कहा कि वह अपनी मनमर्जी से एयरलाइंस की निर्धारित उड़ानों व पायलटों की ड्यूटी में बदलाव कैसे कर सकता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि यह अवैध है और यात्री सुरक्षा के लिए खतरा है। डीडीसीए के पास एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस) को बदलने की शक्ति नहीं है।
पीठ ने कहा कि पहली प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा है, न कि पायलटों की शिकायत। अदालत ने पूछा कि पायलटों से दुर्घटनाओं की शिकायतों के बारे में कितनी बार पूछा जाता है। पायलट के थके होने पर यात्रियों के जोखिम का आकलन कितनी बार किया जाता है। कोर्ट ने पूछा कि अधिकतम उड़ान समय और न्यूनतम आराम की अवधि तय क्यों करें, जब डीडीसीए इन्हें बदलना चाहता है। इस पर डीजीसीए ने कहा कि बदलाव की मंजूरी इसलिए दी जा रही है, क्योंकि नए नियमों की वजह से कोई दुर्घटना नहीं हुई है और अभी तक किसी भी पायलट ने थकावट की शिकायत नहीं की है। मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। हाई कोर्ट केरल के एक वकील यशवंत शेनॉय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। शेनॉय ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्रीय सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो हवाई अड्डे की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।