Hartalika Teej 2020: सुख-समृद्धि की कामना के साथ महिलाएं करेंगी हरतालिका तीज का व्रत
Hartalika Teej 2020 यह त्योहार पूर्वांचल बिहार व मध्य प्रदेश में अधिक प्रचलित है लेकिन राजधानी के भी कुछ क्षेत्रों के लोग इसे विधिवत मनाते हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Hartalika Teej 2020: हरतालिका तीज पर्व को लेकर महिलाएं उत्साहित हैं। 21 अगस्त को इस त्योहार को मनाने की तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। वैसे तो यह त्योहार पूर्वांचल, बिहार व मध्य प्रदेश में अधिक प्रचलित है, लेकिन राजधानी के भी कुछ क्षेत्रों के लोग इसे विधिवत मनाते हैं। पूर्वाचल बहुल इलाकों में महिलाओं ने इसकी तैयारी को लेकर खरीदारी पूरी कर ली है, इसलिए इसके महत्व और पूजन की विधि को लेकर जब उनसे बात की गई, तब उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए अपने अनुभव और पूजा से जुड़े श्रद्धाभाव के बारे में बताया। हरतालिका तीज व्रत करते हुए कई वर्ष बीत गए। इस व्रत में निर्जला उपवास होता है। इसमें गौरी देवी से सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है।
इस पूजा के लिए विशेष तैयारी की जाती है और स्त्री को सभी प्रकार के सोलह श्रृंगार करने होते हैं। इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते है। भगवान शिव और पार्वती को समर्पित इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। -अन्नपूर्णा तिवारी
हरतालिका तीज व्रत को हम तीजा भी कहते हैं। गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है। थाली या परात में उनकी मूर्ती रख कर जलाभिषेक करते हैं। व्रत पूरा होने के बाद शाम में विधिवत पूजा की जाती है। निर्जला व्रत के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। कई कुंवारी कन्यायें मनवांछित वर प्राप्त करने के लिए भी इस व्रत को रखती हैं। -सरिता पांडेय
हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं वर्षों से करती आ रही हैं। यह व्रत संकल्प शक्ती को बढ़ाता है। इस व्रत से महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस व्रत की पूजा के दौरान महिलाएं गौरी शंकर की कथा को सुनती हैं और उसके बाद व्रत पूरा होता है। इस व्रत का संदेश यह है कि हम जीवन में लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लें। संकल्प शक्ति बहुत जरूरी है। जिस तरह माता पार्वती ने जगत को दिखाया की संकल्प शक्ति के सामने ईश्वर भी झुक जाते हैं। -कुशलावती यादव
हरतालिका तीज की पूजा के लिए हमेशा शाम में होती है। यह वह वक्त होता है जब दिन रात के मिलने का समय होता है। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश की प्रतिमा को बालू या रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती हैं। अलग-अलग किस्म के फूलों से प्रतिमाओं को सजाया जाता है। इसके बाद चावल के घोल से रंगोली सजाई जाती है। केले के पत्ते को एक थाल में रखकर सभी प्रतिमाओं को केले के पत्ते पर रखा जाता है। इस पूजा में कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प महत्वपूर्ण होता है। -पार्वती देवी
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