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भक्तों ने फेस शील्ड लगाकर मां दुर्गा को दी भावुक विदाई

कोरोना संक्रमण के बीच सोमवार को राजधानी के पंडालों से मां दुर्गा की विदाई हुई। भक्तों ने फेस शील्ड लगाकर और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए मां दुर्गा को विदाई दी। कालीबाड़ी मंदिर में अस्थायी रूप से बनाए गए तालाब में मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया। आरामबाग में लोगों ने ड्रम और टब में मां दुर्गा का विजर्सन किया। वहीं पहली बार ऐसा हुआ है जब पंडालों में वर्षों पुरानी परंपरा टूटी है। महिलाओं ने विसर्जन के समय सिदूर नहीं खेला हो।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 07:49 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 07:49 PM (IST)
भक्तों ने फेस शील्ड लगाकर मां दुर्गा को दी भावुक विदाई
भक्तों ने फेस शील्ड लगाकर मां दुर्गा को दी भावुक विदाई

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण के बीच सोमवार को राजधानी के पंडालों से मां दुर्गा की विदाई हुई। भक्तों ने फेस शील्ड लगाकर और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए भीगे पलकों से मां दुर्गा को विदाई दी। कालीबाड़ी मंदिर में अस्थायी रूप से बनाए गए तालाब में मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया गया। आरामबाग में भक्तों ने ड्रम और टब में मां दुर्गा का विसर्जन किया। वहीं, पहली बार ऐसा हुआ है जब पंडालों में वर्षो पुरानी परंपरा टूटी है। महिलाओं ने विसर्जन के समय सिदूर नहीं खेला।

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पहाड़गंज स्थित आरामबाग फ्लैट्स में सांकेतिक रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया। समिति की ओर से सोमवार को मां दुर्गा का विसर्जन किया गया। समिति के चेयरमैन अभिजीत बोस ने बताया कि सोमवार को समिति की सभी महिलाएं और पुरुष कार्यकर्ताओं ने फेस शील्ड लगाकर मां को विदाई दी। इस दौरान महिलाओं ने शंखवाद किया। वहीं, पहली बार महिलाओं ने विसर्जन के समय सिदूर नहीं खेला। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दिशानिर्देशों को देखते हुए सिदूर खेला का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है।

कालीबाड़ी मंदिर में आयोजित दुर्गा पूजा के मुख्य आयोजक स्वपन गांगुली ने बताया की कोरोना संक्रमण के चलते पहली बार दुर्गा पूजा प्रभावित हुई है। इसके चलते समिति की ओर से कई बदलाव किए गए। उन्होंने बताया कि पहली बार पांडाल को खुला बनाया गया ताकि हवा का बहाव होता रहे। साथ ही पंडाल में कोई सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि करीब 80 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है जब दुर्गा पूजा के समापन के मौके पर महिलाओं ने सिदूर नहीं खेला है। हर साल ये महिलाएं परंपरागत रूप से सजधज कर पंडाल में आती थीं और एक-दूसरे के साथ सिदूर खेलकर मां दुर्गा को प्रसन्न करती थीं। हालांकि, एक महिला ने सांकेतिक रूप से सिदूर लगाया है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते यह फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि पहली बार दुर्गा मां की मूर्ति का मंदिर परिसर के अंदर ही विसर्जन किया किया है।

वहीं, मिटो रोड स्थित दुर्गा पूजा के पुजारी पीएन भट्टाचार्य ने बताया कि कोरोना के चलते पहली बार पंडाल में भक्तों को आने की अनुमति नहीं दी गई थी। साथ ही सिदूर खेलने का भी कार्यक्रम इस बार नहीं किया जा रहा है। इससे भक्तों के मन में निराशा भी है।


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