लघु उद्योग के लिए अलग कानून की मांग
-लघु उद्योग भारती ने बढ़ाया केंद्र पर दबाव -केंद्र के वार्षिक बिक्री के आधार पर सूक्ष्म व लघु
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
लघु उद्योग भारती ने लघु उद्योग के लिए अलग कानून बनाने की मांग की है। इसके साथ ही उसने केंद्र के वार्षिक बिक्री के आधार पर सूक्ष्म व लघु उद्योग को परिभाषित करने के विचार को गलत बताया है। संगठन के राष्ट्रीय सचिव संपत तोषनीवाल ने कहा कि सूक्ष्म व लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया है, लेकिन इसमें मध्यम उद्योग को भी शामिल कर दिए जाने से मुहिम कमजोर पड़ी है। इस कारण देश में स्वरोजगार में कमी आई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार 2005 की तुलना में 2015 में स्वरोजगार 10 फीसद घटा है। ऐसे में सूक्ष्म व लघु उद्योग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए अलग कानून अब अनिवार्य हो गया है।
उन्होंने बताया कि गत 14-15 अप्रैल को संगठन की पटना में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसे लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया। इसमें उद्योगों को वार्षिक बिक्री के आधार पर परिभाषित करने के केंद्र के प्रस्ताव को अतार्किक बताते हुए उद्योग में लगी राशि के आधार पर वर्गीकरण की पुरानी व्यवस्था को ही सही बताया गया है। जिसे सूक्ष्म उद्योग के लिए 50 लाख और लघु उद्योग के लिए 5 करोड़ रुपये करने की मांग की है। वहीं, इसके लिए अलग श्रम कानून और लघु उद्यमियों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना की भी मांग रखी है।