एबीवीपी-एनएसयूआइ में डूसू अध्यक्ष की डिग्री पर ठनी
कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नवनिर्वाचित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के अध्यक्ष अंकिव बैसोया पर विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप लगाया है। हालाकि एबीवीपी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बाद अंकिव बैसोया को प्रवेश की अनुमति दी थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नवनिर्वाचित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के अध्यक्ष अंकिव बैसोया पर विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप लगाया है। हालाकि एबीवीपी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बाद अंकिव बैसोया को प्रवेश की अनुमति दी थी। वहीं अंकिव ने इस मामले पर कहा कि उन्होंने पहले डीयू के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था। एक साल के अंदर ही उन्होंने अपना दाखिला वापस ले लिया था। इसके बाद उन्होंने 2015 से 2018 के दौरान तमिलनाडु के तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। मानविकी पाठ्यक्रम में स्नातक पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने के बाद इस साल मानविकी संकाय में बौैद्ध विषय में दाखिला लिया था। एनएसयूआइ का आरोप गलत है। वह डूसू चुनाव में अपनी करारी हार के बाद बौखला गए हैं, हमारे संगठन पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। एनएसयूआइ का आरोप
एनएसयूआई ने तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय का एक कथित पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अंकिव बैसोया का विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत बीए का प्रमाण पत्र फर्जी था। एनएसयूआइ ने आरोप लगाते हुए कहा कि बैसोया ने एमए (बौद्ध अध्ययन) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए एक मार्कशीट दी थी। इस बारे में तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से भी एनएसयूआइ के सदस्यों ने पूछा, जिसके जवाब में संगठन ने विश्वविद्यालय से मिले पत्र को भी जारी किया। उसमें यह दावा किया गया है कि अंकिव बैसोया की मार्कशीट वास्तविक नहीं है। इस मार्कशीट में मौजूद सीरियल नंबर उनके रिकॉर्ड में नहीं था। एबीवीपी ने किया पलटवार..
एबीवीपी की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक मोनिका चौधरी ने कहा कि डीयू प्रशासन ने अंकिव के प्रवेश के लिए आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद ही उन्हें प्रवेश दिया है। यह डीयू में प्रवेश की प्रक्रिया है। डीयू प्रशासन को विश्वविद्यालय में नामाकित किसी भी छात्र के दस्तावेजों को सत्यापित करने का अधिकार है। एनएसयूआइ का यह काम नहीं है कि वह किसी भी व्यक्ति को प्रमाण पत्र प्रदान करे या सत्यापित करे।
उन्होंने कहा कि अंकिव बैसोया के संबंध में तमिलनाडु के विश्वविद्यालय का जो पत्र एनएसयूआइ ने जारी किया है, वह फर्जी है। पत्र के शीर्ष पर किसी भी तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है। इसके अलावा आरटीआइ में आमतौर पर पत्र संख्या का भी उल्लेख किया जाता है, जिसका एनएसयूआइ की ओर से जारी पत्र में जिक्र नहीं है।