'फर्जी डिग्री मामले में पुलिस डूसू अध्यक्ष पर दर्ज करे एफआइआर'
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के अध्यक्ष अंकिव बैसोया पर नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में फर्जी डिग्री से एमए बुद्धिस्ट स्टडीज में दाखिला लेने का आरोप लगाया था। इस संदर्भ में बुधवार को एनएसयूआइ ने डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी और पुलिस को कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के अध्यक्ष अंकिव बैसोया पर नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में फर्जी डिग्री से एमए बुद्धिस्ट स्टडीज में दाखिला लेने का आरोप लगाया था। इस संदर्भ में बुधवार को एनएसयूआइ ने डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी और पुलिस को कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा।
एनएसयूआइ नेता सनी छिल्लर ने कुलपति को लिखे शिकायती पत्र में कहा है कि अंकिव ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला लिया है। उन्होंने पत्र में दावा किया कि डीयू के बुद्धिस्ट विभाग ने माना है कि अंकिव ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे दाखिला लिया है। वहीं सनी ने डीयू से सटे मौरिस नगर पुलिस को पत्र लिखकर अंकिव के खिलाफ इस मामले में एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। फैकल्टी एवं स्टाफ के खिलाफ भी हो कार्रवाई
सनी छिल्लर ने कुलपति को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि डीयू के बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग में स्टाफ एवं फैकल्टी की मदद से जाली दस्तावेजों के सहारे विद्यार्थियों को दाखिला दिलवाया जा रहा है। अंकिव का मामला इसका उदाहरण है। इस पर भी कुलपति संज्ञान लें और इस विभाग के स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। डीयू प्रशासन नहीं उठा रहा फोन
एनएसयूआइ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने दावा करते हुए कहा कि तमिलनाडु की थिरूवल्लुवर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने स्वीकार किया है कि अंकिव की डिग्री फर्जी इस मामले में डीयू प्रशासन के अधिकारी फोन करने पर उसका जवाब नहीं दे रहे। हम लगातार प्रशासन से इस मामले में उचित कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। एबीवीपी ने कहा, डीयू प्रशासन ले फैसला
एबीवीपी की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक मोनिका चौधरी ने कहा कि एनएसयूआइ सिर्फ इस मामले में राजनीति कर रही है। इस तरह के मामले में डीयू प्रशासन की एक प्रक्रिया होती है। जब तक प्रशासन की ओर से प्रक्रिया पूरी नहीं कर ली जाती, तब तक हम इस मामले में कुछ नहीं कह सकते। इस मामले में डीयू प्रशासन फैसला ले।