नशे में रफ्तार का कहर, युवा ड्राइवर बन रहे सबसे अधिक मौत का कारण, इस साल नवंबर तक 1445 लोगों की गई जान
नई दिल्ली में सड़क हादसे चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं, खासकर नशे में और तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने वाले युवाओं के कारण। इस वर्ष 30 नवंबर तक 1,445 लोगों ...और पढ़ें
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इस वर्ष 30 नवंबर तक दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं में 1,445 लोगों की मौत हुई।
मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। राजधानी में सड़क हादसे लगातार चिंता गहरा रहे हैं और सबसे बड़ी चिंता का विषय नशे में और तेज रफ्तार में कार चलाने वाले युवा, जो खुद के साथ-साथ सबसे अधिक अन्य लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं। यातायात विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 30 नवंबर तक दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं में 1,445 लोगों की मौत हुई। इनमें से सबसे अधिक 236 मौतें कार चालकों की लापरवाही के कारण दर्ज की गईं, जिनमें रैश ड्राइविंग और शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले प्रमुख रहे।
स्थिति और भी गंभीर तब हुई जब यह पता चलता है कि इन हादसों में मरने वालों में 60% लोग 18 से 34 वर्ष की आयु के थे। यानी युवा पीढ़ी न केवल लापरवाही से वाहन चला रही है, बल्कि सबसे अधिक इसकी शिकार भी हो रही है। वहीं दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकांश ड्राइवरों की आयु 25 से 30 वर्ष के बीच पाई गई है, जो यह दर्शाती है कि जोखिम भरी ड्राइविंग की प्रवृत्ति युवाओं में तेजी से बढ़ रही है।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, युवाओं में स्पीड, एडवेंचर और देर रात पार्टी के बाद रैश ड्राइविंग का ट्रेंड दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन रहा है। राजधानी की चौड़ी सड़कें और रात के समय कम यातायात भी रफ्तार बढ़ाने के लिए उन्हें उकसाती हैं। इसके अलावा, शराब परोसने वाले स्थानों से बिना सख्त निगरानी के वाहनों का निकलना हादसों की आशंका और बढ़ा देता है।
कार चालकों के बाद हादसों में भारी मालवाहन वाहन भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, इन वाहनों की चपेट में आने से अब तक 190 लोगों की मौत हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में दर्ज 175 मृत्यु से अधिक है। ट्रक और अन्य भारी वाहनों में ओवरलोडिंग, चालक का लंबे समय तक बिना आराम के सफर करना और रात में तेज रफ्तार से चलाना हादसों के प्रमुख कारण बताए जाते हैं।
जागरूकता अभियान का भी नहीं दिख रहा असर
दिल्ली यातायात पुलिस हाल के सड़क हादसों में बढ़ोतरी को देखते हुए सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चला रही है। अभियान के तहत स्कूलों, कालेजों और बाजारों में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। लोगों को हेल्मेट और सीटबेल्ट के अनिवार्य उपयोग, ओवरस्पीडिंग से बचने, नशे में ड्राइविंग के खतरे और ट्रैफिक सिग्नल पालन जैसे नियमों की जानकारी दी जा रही है। इंटरनेट मीडिया, पोस्टर, पब्लिक अनाउंसमेंट और नुक्कड़ नाटकों के जरिए भी संदेश फैलाया जा रहा है। इसके बाद भी लोग लापरवाही से वाहन चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
| वाहन का प्रकार | हादसे | मृतकों की संख्या |
|---|---|---|
| दो पहिया वाहन | 180 | 187 |
| थ्री व्हीलर | 23 | 23 |
| बस | 67 | 68 |
| कार | 222 | 236 |
| क्रेन | 9 | 9 |
| ई-रिक्शा | 31 | 31 |
| ग्रामीण सेवा वाहन | 1 | 1 |
| भारी मालवाहक वाहन | 181 | 190 |
| लाइट मोटर वाहन (LMV) | 12 | 12 |
| मध्यम माल वाहन | 78 | 82 |
| अन्य वाहन | 17 | 17 |
| अज्ञात वाहन | 581 | 589 |
| कुल योग | 1,402 | 1,445 |
| वाहन का प्रकार | हादसे | मृतकों की संख्या |
|---|---|---|
| दो पहिया वाहन | 180 | 187 |
| थ्री व्हीलर | 28 | 28 |
| बस | 68 | 70 |
| कार | 230 | 236 |
| क्रेन | 10 | 10 |
| ई-रिक्शा | 20 | 20 |
| ग्रामीण सेवा वाहन | 2 | 2 |
| भारी मालवाहक वाहन | 167 | 175 |
| लाइट मोटर वाहन (LMV) | 9 | 10 |
| मध्यम माल वाहन | 80 | 84 |
| अन्य वाहन | 20 | 20 |
| अज्ञात वाहन | 577 | 585 |
| कुल योग | 1,391 | 1,417 |

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