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Delhi Monkey Pox News: पूरी दुनिया में पाए जा रहे मंकी पॉक्स के मामले, ICMR की वैज्ञानिक ने बताया क्या होते हैं इसके लक्षण?

पूरी दुनिया में मंकी पॉक्स के अब तक 200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि भारत में अब तक इसका एक भी मामला सामने नहीं आया है। मंकी पॉक्स पर डॉ. गुंजन वैज्ञानिक सी ICMR दिल्ली ने बताया कि इस पर सभी की नजर बनी हुई है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 05:12 PM (IST)
Delhi Monkey Pox News: पूरी दुनिया में पाए जा रहे मंकी पॉक्स के मामले, ICMR की वैज्ञानिक ने बताया क्या होते हैं इसके लक्षण?
पूरी दुनिया में मंकी पॉक्स के अब तक 200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना के बाद एक नई बीमारी से हर कोई परेशान है। इसके भी कई देशों में मरीज पाए जा रहे हैं। इस नई चौंकाने वाली बीमारी का नाम मंकी पॉक्स है। पिछले 2 हफ्ते में मंकी पॉक्स के मामले उन देशों में पाए जा रहे हैं जहां पहले ये मामले नहीं आ रहे थे। पूरी दुनिया में मंकी पॉक्स के अब तक 200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि भारत में अब तक इसका एक भी मामला सामने नहीं आया है।

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मंकी पॉक्स पर डॉ. गुंजन, वैज्ञानिक सी, ICMR, दिल्ली भी इस बीमारी पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने एक सर्वे के बाद ये बताया कि ऐसे कौन से लक्षण है जिनके होने पर ये कहा जा सकता है कि बीमार व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण है।

ये हैं लक्षण-

- किसी भी व्यक्ति को तेज बुखार,

- लिम्फ नोड्स में सूजन,

- आंखों से पानी आना,

- चकत्ते पड़ना

उन्होंने बताया कि यदि अगर इस तरह के लक्षण होते हैं तो उसकी जांच की जाएगी। सरकार लगातार लोगों पर निगरानी रख रही है। बच्चों और बड़ों में इसके लक्षण समान होते हैं।

मंकीपाक्स चेचक वायरस परिवार से संबंधित है। इसे पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में देखा गया था। 1970 में पहली बार इंसान में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। वायरस के दो मुख्य स्ट्रेन हैं पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी। यूके में मिले संक्रमित रोगियों में से दो ने नाइजीरिया से यात्रा की थी। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि ये पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन हो सकते हैं। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

कैसे फैलता है संंक्रमण

मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से हो सकता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकीपाक्स हो सकता है।

पहले भी बनी है ऐसी स्थिति

ऐसा पहली बार नहीं है जब मंकीपाक्स के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है। 2003 में भी अमेरिका में ऐसी स्थिति देखी गई थी। यह अफ्रीका के बाहर देखा गया पहला मामला था। यह संक्रमित प्रैरी कुत्तों के संपर्क में आने से फैला था। इसी तरह 2017 में नाइजीरिया में बड़ी संख्या में इसके मामले देखे गए थे। इसमें से ज्यादातर युवा पुरुष थे।

कितना खतरनाक है मंकीपाक्स

यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला बताया है। यूनिवर्सिटी आफ नाटिंघम में मालिक्यूलर वायरोलाजी के प्रोफेसर जोनाथन बाल ने कहा है कि तथ्य बताते है मंकीपाक्स से संक्रमित रोगी के 50 संपकरें में से केवल एक ही संक्रमित हुआ है, यह दर्शाता है कि वायरस ज्यादा संक्रामक नहीं है।



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