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Delhi News: दिल्ली विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन के पास सोसायटी निर्माण की पर्यावरण अनुमति रद

पर्यावरण अनुमति के खिलाफ डीयू की अपील पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने कहा कि मौजूदा हवा और शोर का स्तर क्षेत्र में किसी भी अतिरिक्त भार की अनुमति नहीं देता है। इस परियोजना का यातायात घनत्व पर असहनीय प्रभाव पड़ेगा।साथ ही निकटवर्ती रिज में वनस्पतियोंजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

By Babli KumariEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2022 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2022 11:34 AM (IST)
Delhi News: दिल्ली विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन के पास सोसायटी निर्माण की पर्यावरण अनुमति रद
एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण मूल्यांकन समितियां एक वैधानिक निकाय

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) मेट्रो स्टेशन के पास एक ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को निर्माण के लिए दी गई पर्यावरण अनुमति (ईसी) को एनजीटी ने यह कहते हुए रद कर दिया कि एनजीटी के निष्कर्ष के मद्देनजर इसे उचित मूल्यांकन के बिना दिया गया था। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व व न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल की पीठ ने कहा कि परियोजना को इसकी स्थिरता के बारे में इस तरह के उचित मूल्यांकन के बिना अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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पर्यावरण अनुमति के खिलाफ डीयू की अपील पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने कहा कि मौजूदा हवा और शोर का स्तर क्षेत्र में किसी भी अतिरिक्त भार की अनुमति नहीं देता है। इस परियोजना का यातायात घनत्व पर असहनीय प्रभाव पड़ेगा। साथ ही निकटवर्ती रिज में वनस्पतियों, जीवों और भूजल व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एनजीटी ने यह भी कहा कि परियोजना प्रस्तावक इस मामले में सही और पूरी जानकारी बताने में विफल रहा है। साइट के नक्शे से पता चलता है कि यह क्षेत्र बड़ी संख्या में कालेजों, डीयू के विभिन्न विभागों और अस्पतालों आदि से घिरा हुआ है।

बिना दिमाग लगाए की सिफारिश: एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण मूल्यांकन समितियां एक वैधानिक निकाय हैं और इनकी तरफ से किसी भी प्रकार की ढिलाई से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकता है। अनुमति के लिए सिफारिश करने के प्रासंगिक पहलुओं व कारकों पर विचार नहीं किया गया। सिफारिश बगैर दिमाग का इस्तेमाल किए की गई। पर्यावरण अनुमति देने से पहले जांच की जानी चाहिए।

इस सोसायटी को लेकर है विवाद

डीयू परिसर के पास रियल एस्टेट फर्म यंग बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड एक आवासीय परिसर का निर्माण कर रही है। डीयू ने ईसी को चुनौती देते हुए कहा था कि परियोजना दिल्ली के मास्टर प्लान-2021 का उल्लंघन है और बड़े सार्वजनिक हितों के खिलाफ है। इस परियोजना से पर्यावरण, वायु गुणवत्ता, यातायात प्रबंधन, पानी की उपलब्धता, कचरा निपटान गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएगा। इतना ही नहीं, इस पर कोई गंभीर अध्ययन भी नहीं किया गया।


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