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अभी से हवा हुई जहरीली, सर्वाधिक 10 प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हुआ दिल्ली-NCR

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ना आमतौर पर नवंबर माह में शुरू होता है, लेकिन इस बार अक्टूबर में ही स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी है।

By Edited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 10:36 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 07:51 AM (IST)
अभी से हवा हुई जहरीली, सर्वाधिक 10 प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हुआ दिल्ली-NCR
अभी से हवा हुई जहरीली, सर्वाधिक 10 प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हुआ दिल्ली-NCR

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की पिछले एक सप्ताह की एयर बुलेटिन ने प्रदूषण रोकने के लिए किए जा रहे दावों की कलई खोल दी है। बुलेटिन के अनुसार, अभी ही दिल्ली- एनसीआर देश के सर्वाधिक प्रदूषित दस क्षेत्रों में शामिल हो गया है। इन सभी इलाकों का एयर इंडेक्स पिछले एक सप्ताह से बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है। सीपीसीबी अधिकारियों के मुताबिक, इस स्थिति के लिए पराली के धुएं के अलावा त्योहार में दिल्ली में बढ़ता ट्रैफिक, उड़ती धूल, कम होता तापमान और हवा में बढ़ रही नमी प्रमुख रूप से दोषी हैं।

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मालूम हो कि पिछले साल इस सूची में गाजियाबाद, डीटीयू और शादीपुर जैसे क्षेत्र भी शामिल थे। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ना आमतौर पर नवंबर माह में शुरू होता है, लेकिन इस बार अक्टूबर में ही स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी है। सीपीसीबी की एयर बुलेटिन पर नजर डालें तो देश का सबसे प्रदूषित स्थान भिवाड़ी है। यहा का एयर इंडेक्स 391 रहा।

इसके बाद दूसरे से आठवें नंबर तक दिल्ली के ही अन्य हिस्से शामिल हैं। इनमें क्रमश: आनंद विहार (एयर इंडेक्स 360), रोहिणी (360), मुंडका (356), वजीरपुर (352), बवाना (345), द्वारका सेक्टर-8 (343), मथुरा रोड (341) और जहागीरपुरी (329) शामिल हैं। नौवें पायदान पर गुरुग्राम है, जहा का एयर इंडेक्स 323 है और अंत में 320 एयर इंडेक्स के साथ नरेला है।

अहम सवाल यह है कि इन सभी क्षेत्रों को सीपीसीबी ने पहले ही अपनी हॉट स्पॉट लिस्ट में शामिल कर लिया था। यह लिस्ट स्थानीय निकायों के साथ-साथ दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान सरकार को भी दे दी गई थी। करीब एक महीना पहले से इन जगहों पर प्रदूषण कम करने के लिए विभिन्न तरह की तैयारियां किए जाने के दावे किए जा रहे थे। इस एयर बुलेटिन ने इस तरह के सभी दावों की कलई खोल दी है। खासकर, राज्य सरकारों की घोर लापरवाही सामने आ गई है।


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