Move to Jagran APP

Delhi Metro ने रचा इतिहास, विकसित की आइ-एटीएस तकनीक, पढ़िये- इसके फायदे

आइ-एटीएस सिग्नल तकनीक का अब कई चरणों में परीक्षण किया जाएगा। यदि सब कुछ सही रहा तो रेड लाइन (रिठाला-दिलशाद गार्डन-न्यू बस अड्डा गाजियाबाद) पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 08:01 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:22 AM (IST)
Delhi Metro ने रचा इतिहास, विकसित की आइ-एटीएस तकनीक, पढ़िये- इसके फायदे
Delhi Metro ने रचा इतिहास, विकसित की आइ-एटीएस तकनीक, पढ़िये- इसके फायदे

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) ने स्वदेशी सिग्नल विकसित करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। इसके तहत आइ-एटीएस (इंडिजेनस-ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन) सिग्नल की तकनीक विकसित कर ली है। सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो भविष्य में रेलवे भी आइ-एटीएस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेगा। गौरतलब है कि भारतीय रेलवे और दिल्ली मेट्रो दोनों ही अपने नए-नए कीर्तिमान के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में विदेशी आइ-एटीएस (इंडिजेनस-ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन) सिग्नल तकनीक अपनाने से दिल्ली मेट्रो रेल निगम और भारतीय रेलवे दोनों का आर्थिक लाभ होगा। यहां पर बता दें कि मंगलवार को इंजीनियर्स डे के अवसर पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने शास्त्री पार्क में आइ-एटीएस के प्रोटोटाइप व अत्याधुनिक प्रयोगशाला का शुभारंभ किया, जिसमें अब सीबीटीसी (संचार आधारित ट्रेन कंट्रोल) सिग्नल प्रौद्योगिकी विकसित की जा सकेगी। इससे सिग्नल सिस्टम के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता दूर होगी।

loksabha election banner

विदेशी तकनीक पर निर्भरता होगी खत्म

डीएमआरसी का कहना है कि सीबीटीसी सिग्नल प्रणाली का महत्वपूर्ण सब सिस्टम है। मौजूदा समय में मेट्रो का सिग्नल सिस्टम उपलब्ध कराने में फ्रांस, जापान व जर्मनी की कंपनियों का वर्चस्व है। अभी तक कोई स्वदेशी कंपनी यह सुविधा उपलब्ध नहीं कराती। इस वजह से दिल्ली मेट्रो के सभी कॉरिडोर पर विदेशी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस वजह से सिग्नल सिस्टम पर मेट्रो को भारी भरकम खर्च भी करना पड़ता है।

वहीं, दुर्गा शंकर मिश्र ने दिल्ली मेट्रो के इस पहल को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया कदम बताया। दिल्ली मेट्रो यह तकनीक दूसरे देशों को भी उपलब्ध करा सकेगी। इससे आमदनी भी होगी। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह ने कहा कि मेट्रो परिचालन के लिए स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की गई है।

जानिए- क्या है एटीएस

एटीएस एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली है, जिससे ट्रेन का परिचालन स्वत: नियंत्रित होता है। मेट्रो की फ्रिक्वेंसी कुछ मिनटों के अंतराल पर ही होती है। इसलिए मेट्रो के परिचालन के लिए इस तरह के ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम की जरूरत होती है। इससे मट्रो की गति स्वत: ही बढ़ती व कम होती है। चालक स्टेशनों पर ट्रेन रोकने, गेट खोलने-बंद करने व ट्रेन को स्टार्ट करने का काम करते हैं। सीबीटीसी (संचार आधारित ट्रेन कंट्रोल) एटीएस से एक कदम आगे की तकनीक है। इस तकनीक में चालक के बगैर (स्वचालित) मेट्रो का परिचालन किया जा सकता है। मौजूदा समय में पिंक लाइन व मजेंटा लाइन पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि अभी सुरक्षा कारणों से मेट्रो में चालक मौजूद होते हैं।

रेड लाइन पर पहले होगा स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल

डीएमआरसी का कहना है कि आइ-एटीएस सिग्नल तकनीक का अब कई चरणों में परीक्षण किया जाएगा। यदि सब कुछ सही रहा तो रेड लाइन (रिठाला-दिलशाद गार्डन-न्यू बस अड्डा गाजियाबाद) पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि इस कॉरिडोर का रिठाला से दिलशाद गार्डन के बीच का हिस्सा बहुत पुराना हो चुका है। भविष्य में रेलवे भी आइ-एटीएस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेगा।

फेज चार में स्वदेशी तकनीक से रफ्तार भर सकती है स्वचालित मेट्रो

सीबीटीसी सिग्नल की तकनीक जल्द विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि फेज चार के कॉरिडोर पर इसका इस्तेमाल हो सके। गौरतलब है कि फेज चार में तीन कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है, जिसमें जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम कॉरिडोर, मजलिस पार्क-मौजपुर कॉरिडोर व तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर शामिल हैं। जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम कॉरिडोर मजेंटा लाइन व मजलिस पार्क-मौजपुर पिंक लाइन की विस्तार परियोजना है, इसलिए इन कॉरिडोर पर स्वदेशी तकनीक से स्वचालित मेट्रो रफ्तार भर सकती है।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.