गोल्ड मेडलिस्ट छात्र के खिलाफ आइपी विवि की याचिका खारिज
बीए-एलएलबी पाठ्यक्रम के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र अभिनव पांडे के पक्ष में आए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आइपी विश्वविद्यालय) की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने विश्वविद्यालय की सभी दलीलों को खारिज करते हुए एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा। एकल पीठ ने विश्वविद्यालय द्वारा याचिकाकर्ता को नजर अंदाज करके एक अन्य छात्रा को गोल्ड मेडल देने के फैसले को खारिज कर याची को गोल्ड मेडल देने का फैसला दिया था।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली
बीए-एलएलबी पाठ्यक्रम के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र अभिनव पांडे के पक्ष में आए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आइपी विश्वविद्यालय) की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने विश्वविद्यालय की सभी दलीलों को खारिज करते हुए एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा। एकल पीठ ने विश्वविद्यालय द्वारा याचिकाकर्ता को नजर अंदाज करके एक अन्य छात्रा को गोल्ड मेडल देने के फैसले को खारिज कर याची को गोल्ड मेडल देने का फैसला सुनाया था।
एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विश्वविद्यालय की वकील एकता सीकरी ने दलील दी कि एकल पीठ फर्स्ट अटेम्प्ट के सही मतलब को नहीं समझ सका। उन्होंने विश्वविद्यालय के अध्यादेश-5 व अध्यादेश-11 का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई छात्र चिकित्सकीय स्थिति में परीक्षा न दे सके, तब भी पूरक परीक्षा पहली परीक्षा नहीं मानी जाएगी। वहीं याचिकाकर्ता के वकील अमित जॉर्ज ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि याची चेचक की बीमारी से पीड़ित था। उसने तय समयसीमा के अंदर आठवें के साथ छठे सेमेस्टर की परीक्षा देकर पांच वर्षीय कोर्स पूरा किया है।
इसके बाद न्यायमूर्ति रेखा पल्ली व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन की दलीलों को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा दिसंबर 2016 में अध्यादेश -5 को संशोधित किया गया, जो याची पर भी लागू होता है। संशोधित अध्यादेश के तहत याची गोल्ड मेडल अवार्ड पाने के योग्य है। पीठ ने अतिरिक्त समय पाकर एक साल बाद छठे सेमेस्टर की परीक्षा देने विश्वविद्यालय के तर्क को भी खारिज कर याचिका का निपटारा कर दिया। यह था मामला
याचिकाकर्ता अभिनव पांडे गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से बीए-एलएलबी वर्ष 2010-2015 का छात्र था। मई 2015 में छठे सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान अभिनव को चेचक की बीमारी हो गई थी। चिकित्सकीय सलाह के बाद अभिनव ने छठे सेमेस्टर की परीक्षा एक साल बाद आठवें सेमेस्टर की परीक्षा के साथ दी थी और उसमें अच्छा प्रदर्शन किया था। अभिनव को उम्मीद थी कि उसे गोल्ड मेडल मिलेगा, लेकिन विश्वविद्यालय ने यह तर्क देते हुए एक अन्य छात्रा को गोल्ड मेडल दे दिया कि अभिनव ने छठे सेमेस्टर की परीक्षा फर्स्ट अटेम्प्ट में पास नहीं की है। एकल पीठ ने अभिनव को ही माना गोल्ड मेडलिस्ट
विश्वविद्यालय के फैसले को अभिनव ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। मामले में सुनवाई के बाद एकल पीठ ने कहा कि फर्स्ट अटेम्प्ट को अलग-अलग मामले के तौर पर देखना चाहिए। अगर कोई छात्र बीमारी के कारण परीक्षा नहीं दे सका तो वह फर्स्ट अटेम्प्ट में परीक्षा पास नहीं कर सका। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता को गोल्ड मेडल दिए जाने का फैसला दिया।