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    दिल्ली HC का बड़ा कदम: असाध्य बीमारियों के इलाज हेतु क्राउडफंडिंग सिस्टम पर निगरानी रखेगी नई समिति

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 07:50 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने असाध्य बीमारियों के इलाज हेतु क्राउडफंडिंग सिस्टम की निगरानी के लिए एक नई समिति बनाई है। यह समिति क्राउडफंडिंग से जुटाए गए धन के सही उपयोग पर नजर रखेगी, जिससे जरूरतमंद मरीजों को समय पर इलाज मिल सके। इस पहल से क्राउडफंडिंग सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, और यह सुनिश्चित होगा कि दानदाताओं का पैसा सही हाथों में पहुंचे।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। असाध्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए केंद्र सरकार के क्राउडफंडिंग डिजिटल प्लेटफार्म के संचालन की निगरानी और देखरेख के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने निर्देश दिया कि समिति इस प्लेटफार्म के अस्तित्व और उद्देश्य के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पर्याप्त कदम उठाएगी। कोर्ट ने कहा कि इसका उद्देश्य संभावित दानदाताओं को असाध्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के इलाज के लिए योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना होना चाहिए।

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    अदालत ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. राजीव बहन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। इसमें नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा. वी.के. पॉल, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर का एक अधिकारी और सार्वजनिक वित्त मंत्रालय के उद्यम विभाग में संयुक्त सचिव स्तर का एक अधिकारी को रखा जाएगा।

    अदालत ने निर्देश दिया कि समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) तक पहुंचने का प्रयास करेगी ताकि उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके और उन्हें स्वैच्छिक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

    अदालत ने उक्त निर्देश एक नाबालिग लड़की द्वारा अपने माता-पिता के माध्यम से दायर याचिका पर विचार करते हुए दिया। लड़की स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप-एक की असाध्य बीमारी और जानलेवा आनुवंशिक रूप से विरासत में मिली न्यूरोमस्कुलर बीमारी से पीड़ित है। याची का तर्क था कि यह थेरेपी न तो वर्तमान में भारत में स्वीकृत है और न ही निर्मित है, बल्कि डाक्टर की सिफारिश और सरकार की मंजूरी से इसे अमेरिका से आयात किया जा सकता है। याची ने कहा कि उसके माता-पिता अत्यधिक लागत के कारण इसे आयात करने में असमर्थ हैं।

    न्यायमूर्ति दत्ता केंद्र सरकार के वकील के इस तर्क से सहमत थे कि सीएसआर के माध्यम से की जाने वाली वित्तपोषण पहलों की निगरानी, योजना और क्रियान्वयन संबंधित कंपनियों (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) के बोर्ड द्वारा किया जाता है और ऐसी किसी भी कंपनी को असाध्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार के लिए अपने सीएसआर फंड को निर्धारित करने का कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता।

    पीठ ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा स्थापित क्राउड फंडिंग प्लेटफार्म पर अब तक प्राप्त धनराशि बहुत कम है। अदालत ने रिकार्ड किया कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार आज तक, लगभग 3981 पंजीकृत रोगियों के लिए उक्त प्लेटफार्म पर केवल 3,91,589 रुपये की मामूली राशि ही एकत्रित की गई है। अदालत ने डिजिटल प्लेटफार्म की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने के याचिकाकर्ता के सुझाव से सहमति व्यक्त करते हुए उक्त आदेश दिया।

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