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यमुनापार में दो अस्पतालों के विस्तार को कैबिनेट की मंजूरी

दिल्ली के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरत को देखते हुए दिल्ली सरकार नरेला में कैंसर अस्पताल बनाएगी। ये अस्पताल 500 बेड का होगा। दिल्ली सरकार की खर्च एवं वित्त समिति (ईएफसी) ने इन योजनाओं को मंजूरी दे दी है। जल्द ही इन्हें स्वीकृति के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 08:53 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 08:53 PM (IST)
यमुनापार में दो अस्पतालों के 
विस्तार को कैबिनेट की मंजूरी
यमुनापार में दो अस्पतालों के विस्तार को कैबिनेट की मंजूरी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली कैबिनेट ने बुधवार को स्वास्थ्य से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण योजनाओं को मंजूरी दी। तीनों योजनाएं अस्पतालों में बेड व अन्य सुविधाओं के विस्तार से जुड़ी हैं। इनमें से दो यमुनापार से संबंधित हैं। इनके पूरा होने पर मरीजों को काफी सुविधा मिल सकेगी। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल (एलबीएस), खिचड़ीपुर में 143 करोड़ 72 लाख 95 हजार 900 रुपये की अनुमानित लागत से 460 बेड के मातृ एवं शिशु अस्पताल ब्लॉक के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह एलबीएस अस्पताल के साथ बने प्लाट पर बनेगा। मरीजों के लिए मौजूदा अस्पताल में बेड की कमी है, इसलिए यह योजना अस्तित्व में लाई गई। वर्तमान में एलबीएस अस्पताल में 105 बेड हैं और यह योजना पूरी होने के बाद अस्पताल की बेड क्षमता 565 हो जाएगी। इससे प्रसव और शिशु के जन्म के बाद की देखभाल और उपचार से संबंधित सुविधाएं मिल सकेंगी। जगप्रवेश चंद्र अस्पताल में बढे़ंगे बेड

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शास्त्रीपार्क स्थित जगप्रवेश चंद्र अस्पताल में 339 स्वीकृत बेड हैं, यह संख्या बढ़ाकर 560 की जाएगी। इसके लिए बेसमेंट सहित सात मंजिला नई इमारत बनेगी। इस पर 189.76 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। उत्तरी पूर्वी दिल्ली में दिल्ली सरकार का यह दूसरा बड़ा अस्पताल है। जीटीबी अस्पताल में अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश से इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में जगप्रवेश चंद्र अस्पताल इलाके के लोगों की इलाज से संबंधित जरूरतों को पूरा करेगा। इस इमारत के बनने से मौजूदा अस्पताल में बेड की संख्या बढ़ेगी। कैंसर अस्पताल में होंगे पांच सौ बेड

नरेला स्थित सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल बाहरी दिल्ली व उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यहां कैंसर के इलाज की सुविधा नहीं है। ट्रॉमा सेंटर की भी व्यवस्था नहीं है। लोग कैंसर से संबंधित जांच व इलाज के लिए दूसरे इलाकों में भटकते हैं। वहीं, सिर में चोट लगने के मामले दिल्ली के दूसरे क्षेत्रों में भेजे जाते हैं। इलाज में देरी होने पर ऐसे मरीजों की जान को भी खतरा बना रहता है। लंबे समय से यहां कैंसर से संबंधित अस्पताल व ट्रॉमा सेंटर खोलने की मांग की जा रही थी। इसलिए दिल्ली सरकार ने सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल परिसर में कैंसर अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर बनाने का फैसला लिया है। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को दी गई है। योजना के तहत यहां बेसमेंट सहित छह मंजिला इमारत बनेगी। एक ओपीडी ब्लॉक भी बनेगा। पहले से बने अस्पताल के चार ब्लॉकों के ऊपर भी एक-एक मंजिल बढ़ाई जाएगी। इस योजना पर 276 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। काम शुरू होने पर योजना 15 माह में पूरी की जाएगी। इस अस्पताल में अभी 200 बेड हैं। योजना के तहत 573 बेड और बढ़ेंगे। इससे कुल बेड 773 हो जाएंगे। इनमें से 500 बेड कैंसर अस्पताल में होंगे।


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