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DELHI: गरीब बच्चों पर अब 1598 रुपये खर्च करेगी सरकार

शिक्षा निदेशालय ने गरीब बच्चों के अध्ययन पर खर्च होने वाली राशि को 1290 रुपये से बढ़ाकर अब 1598 रुपये कर दिया है। इस राशि का भुगतान निजी स्कूलों को वर्ष 2015-16 से किया जाएगा। इसका लाभ नर्सरी से आठवीं तक के विद्यार्थियों को मिलेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 13 Mar 2016 08:34 AM (IST)Updated: Sun, 13 Mar 2016 08:43 AM (IST)
DELHI: गरीब बच्चों पर अब 1598 रुपये खर्च करेगी सरकार

नई दिल्ली। शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के अंतर्गत राजधानी के निजी स्कूलों में अध्ययनरत आर्थिक रूप से पिछड़े व वंचित वर्ग (इडब्ल्यूएस) के विद्यार्थियों पर अब दिल्ली सरकार 1598 रुपये प्रति छात्र प्रति माह खर्च करेगी।

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शिक्षा निदेशालय ने गरीब बच्चों के अध्ययन पर खर्च होने वाली राशि को 1290 रुपये से बढ़ाकर अब 1598 रुपये कर दिया है। इस राशि का भुगतान निजी स्कूलों को वर्ष 2015-16 से किया जाएगा। इसका लाभ नर्सरी से आठवीं तक के विद्यार्थियों को मिलेगा।

शिक्षा निदेशालय में संयुक्त निदेशक (योजना) एनटी कृष्णा की ओर से जारी आदेश में स्कूलों के लिए राहत राशि में इजाफे की बात कही गई है।

मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून, 2009 के प्रावधानों के मुताबिक मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए यह अनिवार्य है कि वह अपने स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग व वंचित समूह के बच्चों को दाखिला प्रदान करें।

स्कूलों के लिए यह भी अनिवार्य है कि वह ऐसे वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराएंगे। आरटीई एक्ट 2009 की सेक्शन 12 के सब सेक्शन (2) व दिल्ली मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 2011 के नियम 11 के मुताबिक सरकार मुफ्त शिक्षा के बदले में निजी स्कूलों को प्रति बच्चे के हिसाब से भुगतान करने को बाध्य है।

इस भुगतान के तहत स्कूलों को किताबें, वर्दी व स्टेशनरी बच्चों को प्रदान करनी होती है। इस बाबत पूछने पर दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन कहते हैं कि सरकार का ये कदम सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 2014 में भी स्कूलों को दी जाने वाली राशि में सौ रुपये का इजाफा कर इसे 1290 रुपये किया गया था। इस बार 308 रुपये की बढ़ोतरी की है। पहली बार इतनी अधिक राशि बढ़ाई गई है। हालांकि यह राशि बड़े स्कूलों के लिए नाकाफी हैं और वो गरीब कोटे के विद्यार्थियों पर इससे कहीं अधिक खर्च कर रहे हैं।


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