'दिल्ली में चेन स्नैचिंग रोकने को हरियाणा व महाराष्ट्र जैसा कानून हो लागू'
दिल्ली महिला आयोग ने राजधानी में चेन स्नेचिग के बढ़ते मामलों को महिला सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। आयोग ने इस मामले में गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की है। आयोग ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय को सुझाव दिया है कि चेन स्नेचिग के मामलों में राजधानी में हरियाणा और महाराष्ट्र जैसी व्यवस्था और कानून लागू करने चाहिए।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग ने राजधानी में चेन स्नैचिंग के बढ़ते मामलों को महिला सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप करने की मांग की है। आयोग ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि चेन स्नैचिंग के मामलों में राजधानी में हरियाणा और महाराष्ट्र जैसी व्यवस्था और कानून लागू करना चाहिए।
आयोग ने गृहमंत्री को बताया कि पंजाब और हरियाणा ने चेन स्नैचिंग के अपराध के कानून में बदलाव करते हुए आइपीसी की धारा 379 को गैर जमानती अपराध घोषित किया है। धारा 379-ए के तहत चेन स्नैचिंग के लिए न्यूनतम पांच वर्ष और अधिकतम दस वर्ष की सजा और जुर्माने (हरियाणा में 25 हजार और पंजाब में दस हजार रुपये) का प्रावधान है। धारा 379-बी के तहत घटना के दौरान चोट पहुंचाने पर न्यूनतम दस वर्ष और भारी जुर्माने का प्रावधान है। महाराष्ट्र के मुंबई शहर में वर्ष 2017-18 में चेन स्नैचिंग की घटनाओं में 92 फीसद की कमी दर्ज की गई, क्योंकि वहां पुलिस ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जैसे कि व्यस्त समय में गश्त बढ़ाना और ऐसे अपराधों में लिप्त अपराधियों की निगरानी रखना। तमिलनाडु के कोयम्बटूर में कई सक्रिय चेन स्नैचर के ऊपर धारा 399 (डकैती करने की तैयारी करना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया, जिससे अपराधियों में डर पैदा हुआ। दिल्ली में अधिकतम तीन वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना कितना लगेगा यह निर्धारित नहीं है। दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड का दिया हवाला
आयोग ने दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड का हवाला दिया, जिसमें पिछले पांच वर्षो में चेन स्नैचिंग के मामलों में 413 फीसद की वृद्धि हुई है। हर दिन इसके औसतन 18 मामले सामने आते हैं। चेन स्नैचिंग की वारदात छेड़खानी, हिसा और हमलों से जुड़ी हुई होती हैं। इस तरह के अपराध बड़ी संख्या में सामने आने के बावजूद पुलिस कुछ ही अपराधियों को गिरफ्तार कर पाती है और इन मामलों में सजा होने की दर भी नगण्य है।