दिल्ली पुलिस को मिली बड़ी सफलता, चाइनीज लिंक से चल रहे साइबर सिंडिकेट का भंडाफोड़; दो गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने चाइनीज लिंक वाले एक साइबर सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने ब ...और पढ़ें
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साइबर सिंडिकेट का भंडाफोड़ कर क्राइम ब्रांच ने दो आरोपित को गिरफ्तार किया
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। चाइनीज लिंक से चल रहे एक साइबर सिंडिकेट का भंडाफोड़ कर क्राइम ब्रांच ने दो आरोपित को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने बेल क्रेस्ट नाम से नकली फर्म खोलकर फर्म के नाम पर बैंक खाता खुलवा साइबर सिंडिकेट को बैंक खाता व सिमकार्ड सौंप दिया था।
इसके एवज में दोनों चाइनीज सिंडिकेट से 20 हजार रुपये महीना कमीशन ले ही रहे थे साथ ही ठगी की रकम के पांच प्रतिशत कमीशन भी लेते थे। 61 वर्षीय एक बुजुर्ग नागरिक से निवेश के नाम पर 33.10 लाख रुपये ठगी करने के मामले में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया है।
डीसीपी आदित्य गौतम के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम शिवम सिंह (फैजाबाद, यूपी) व लक्ष्य (दिल्ली) है। दोनों फर्जी फर्म बेल क्रेस्ट इंडिया प्रा.लि. में डायरेक्टर बन गए थे। इनकी फर्जी कंपनी व बैंक खातों का इस्तेमाल कई राज्यों में किए जाने की आशंका है।
वरिष्ठ नागरिक द्वारा कराई गई ई-एफआइआई की जांच से दाेनों को गिरफ्तार किया गया। जांच में फर्जी फर्मों का पता लगाने व आरोपितों तक पहुंचने में पुलिस कामयाब रही। टेक्निकल जांच से पता चला कि ठगे गए पैसे फर्जी कंपनी बेल क्रेस्ट के कई सेकंड-लेयर बेनिफिशियरी अकाउंट के जरिये भेजे गए थे।
इस कंपनी में शिवम सिंह व लक्ष्य बतौर डायरेक्टर बने हुए थे। कंपनी से जुड़े खाते में 10.38 लाख आने का पता चला। जांच के बाद पहले लक्ष्य को गिरफ्तार किया गया। उसने नकली बेल क्रेस्ट फर्म खोलने, बैंक अकाउंट बनाने और सह आरोपित शुभम और दूसरों को 20 हजार महीने के कमीशन पर बैंक किट और सिमकार्ड देने की बात कुबूल की।
इंस्पेक्टर अशोक की टीम ने शुभम का पता लगाने के लिए दिल्ली एनसीआर में कई जगहों पर छापे मारे लेकिन पहले वह पुलिस के पहुंचने से पहले भाग जाता था। पुलिस से बचने के लिए बार बार सिमकार्ड भी बदल लेता था। काफी कोशिश करने के बाद अंतत: शुभम को छह दिसंबर को तिलक नगर से पकड़ लिया गया। उसके कब्जे से एक लैपटाप, दो मोबाइल, पांच चेकबुक, छह डेबिट कार्ड बरामद किए गए।
पूछताछ में शुभम ने बताया कि वह एक हैंडलर के साथ काम करता था, जो शेल कंपनियों के तीसरे और चौथे लेयर के खाते उपलब्ध कराता था, जिनमें सीएसपी 24 सेवन टेक्नोलाजी, लेविन फिनटेक, इकाे इंडिया, रिनोवा प्राइवेट लिमिटेड, मनी वेव प्राइवेट लिमिटेड, ईज़ी मुद्रा प्राइवेट लिमिटेड, लावी साफ्टवेयर एंड टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड आदि कंपनियां शामिल थी। उसने यह भी बताया कि उससे क्रिप्टोकरेंसी भी लेकर उसे चीन की कंपनी कूल पे को बेच दिया गया।
काम करने का तरीका
-चाइनीज कंपनी कूल पे ने फर्स्ट लेयर बेनिफिशियरी अकाउंट से फंड बेल क्रेस्ट के अकाउंट में ट्रांसफर किए।
-पैसे को मल्टी-लेयर बैंक अकाउंट के ज़रिये भेज दिया गया।
-पैसे का इस्तेमाल प्राइवेट वेंडर से क्रिप्टो करेंसी खरीदने के लिए किया गया।
-क्रिप्टोसरेंसी को बार-बार कूल पे को वापस बेचा गया, जिससे यह सिलसिला चलता रहा।।

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