चार माह के अंदर पूरा कराएं सीटेट : हाई कोर्ट
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) व केंद्रीय माध्यमिक श्ि
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बीच संवादहीनता का खामियाजा भुगत रहे बीएड छात्रों के लिए राहत की खबर है। हाई कोर्ट ने सीबीएसई को चार महीने के अंदर केंद्रीय शिक्षक योग्यता परीक्षा (सीटेट) कराने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दोनों विभागों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए एनसीटीई के चेयरमैन व सीबीएसई के सचिव को निर्देश दिया कि वे लिखित में दें कि परीक्षा चार माह के अंदर पूरी करा ली जाएगी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि दो विभागों के बीच की संवादहीनता के कारण योग्य अभ्यर्थी परेशान हो रहे हैं। विभाग में पद खाली होने व योग्य अभ्यर्थी होने के बावजूद वे सरकारी नौकरी नहीं ले पा रहे हैं। दरअसल, मामला प्रारंभिक शिक्षा (डीईई) में डिप्लोमा करने वाले छात्रों से जुड़ा है। याची हिमांशु डबास समेत अन्य कई छात्रों ने वर्ष 2017 में याचिका दायर कर हाई कोर्ट से एनसीटीई व सीबीएसई को सीटेट कराने का निर्देश देने की मांग की थी। याची के वकील राकेश धींगरा ने कोर्ट को बताया कि सभी याची प्राइमरी टीचर व ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर के तौर पर नियुक्ति के लिए योग्य हैं, लेकिन सीटेट न होने के कारण वे आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। कोर्ट के नोटिस पर सीबीएसई ने बताया था कि वह एनसीटीई के आदेश पर ही परीक्षा करा सकता है, लेकिन एनसीटीई द्वारा वर्ष 2017 में परीक्षा कराने के संबंध में दिशानिर्देश नहीं मिलने के कारण परीक्षा 2017 में आयोजित नहीं की जा सकी। सीबीएसई के जवाब पर कोर्ट ने एनसीटीई को कोर्ट में पेश होकर जवाब देने को कहा था। एनसीटीई की तरफ से मौजूद अरुमिता द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि परीक्षा के आयोजन के संबंध में एनसीटीई ने 11 फरवरी 2011 को पत्र लिखकर सीबीएसई को साल में एक बार परीक्षा कराने का अधिकार दिया था। इस संबंध में एनसीटीई द्वारा जारी पत्र भी कोर्ट के सामने पेश किया गया।
अरुमिता ने कोर्ट से कहा कि सीबीएसई की जिम्मेदारी है कि वह साल में एक बार सीटेट की परीक्षा आयोजित करे। इस पर सीबीएसई के वकील सी डोलो ने कहा कि उक्त दिशानिर्देश राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए था न कि सीबीएसई के लिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर एनसीटीई चाहता है कि साल में एक बार परीक्षा सीबीएसई कराए तो सीबीएसई को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। पाठ्यक्रम में कोई बदलाव न करे एनसीटीई : कोर्ट
दोनों पक्षों की एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने की दलील सुनकर न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि जब एनसीटीई ने स्पष्ट कर दिया है कि सीबीएसई को परीक्षा कराने का अधिकार है तो मामले को ज्यादा न खींचते हुए चार महीने के अंदर परीक्षा संपन्न कराएं। कोर्ट ने इस संबंध में निर्देश दिया कि एनसीटीई पाठ्यक्रम में बगैर कोई बदलाव किए परीक्षा कराने के संबंध में एक सप्ताह के अंदर सीबीएसई को पत्र लिखे।