दिल्ली में अवैध होर्डिंग्स को लेकर कोर्ट सख्त; चार हफ्ते में सरकार, एमसीडी और पुलिस से मांगा हलफनामा
दिल्ली में अवैध होर्डिंग्स के मामले पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और पुलिस से चार हफ़्तों में हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने अवैध होर्डिंग्स को लेकर नाराजगी जताते हुए संबंधित विभागों से जवाब मांगा है और जवाबदेही तय करने की तैयारी में है।

संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में अवैध पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स पर रोक लगाने के लिए दाखिल जनहित याचिका (पीआइएल) पर दिल्ली सरकार, नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सभी संबंधित विभागों से कहा है कि वे दिल्ली में एंटी-डिफेसमेंट कानूनों के पालन को लेकर उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी दें।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एमसीडी को निर्देश दिया है कि वह बीते एक वर्ष में दिल्ली में एंटी-डिफेसमेंट पालिसी के क्रियान्वयन को लेकर उठाए गए कदमों का ब्योरा हलफनामे के रूप में दाखिल करे। वहीं, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से दिल्ली प्रिवेंशन आफ डिफेसमेंट आफ प्रापर्टी एक्ट, 2007 के तहत कितने मामलों में अभियोजन की कार्रवाई की गई है इसकी भी जानकारी मांगी है।
कोर्ट ने कहा कि दोनों हलफनामे चार सप्ताह के भीतर दाखिल करने होंगे, जिनकी प्रति याचिकाकर्ता को भी दी जाएगी। पीठ ने ये भी कहा कि दिल्ली में अवैध पोस्टर और बैनर का मुद्दा हर साल अदालत के सामने दोहराया जा रहा है।
विभिन्न पक्ष बार-बार इस मुद्दे पर अदालत से दिशा-निर्देश मांगते हैं, जबकि प्रशासन को खुद पहल कर ऐसी गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए। अदालत ने टिप्पणी की कि कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रोएक्टिव एनफोर्समेंट (सक्रिय प्रवर्तन) जरूरी है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 फरवरी 2026 तय की है।
यह आदेश जन सेवा वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया। संस्था की ओर से अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि राजधानी में पहले से ही विस्तृत नीति और कानून मौजूद होने के बावजूद संबंधित एजेंसियां प्रभावी रूप से कार्रवाई करने में नाकाम रही हैं।
याचिका में श्री अग्रसेन नार्थ-एक्स वेलफेयर सोसाइटी के हाल ही में चुनावों का हवाला दिया गया है, जो महाराजा अग्रसेन अस्पताल, सेक्टर-22, रोहिणी का संचालन करती है। याचिकाकर्ता के अनुसार, चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी संख्या में अवैध पोस्टर और बैनर लगाए गए, जो स्पष्ट रूप से 2007 के अधिनियम और संबंधित नीतियों का उल्लंघन है।

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