हाफिज सईद के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को कोर्ट ने किया स्वीकार
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : आतंकी फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जाच एजेंसी (एनआइए) द्वारा लश्क
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : आतंकी फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जाच एजेंसी (एनआइए) द्वारा लश्कर-ए-तैयबा सरगना व मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन समेत 12 कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ 18 जनवरी को दायर किए गए आरोप पत्र को शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तरुण सारस्वत ने जांच एजेंसी को आरोपियों को आरोप पत्र उपलब्ध कराने के आदेश दिए। मामले में अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी।
ज्ञात हो कि एनआइए ने हाफिज सईद व सैयद सलाहुद्दीन समेत 12 कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ देश के खिलाफ आंतकी गतिविधि चलाने, साजिश रचने और गैरकानूनी गतिविधि करने की धारा में 1,279 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। हाफिज सईद व सैयद सलाहुद्दीन के अलावा आरोप पत्र में हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह, गिलानी निजी सहायक बशीर अहमद भट, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का मीडिया सलाहकार आफताब अहमद शाह, अलगाववादी नईम अहमद खान, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट चेयरमैन फारुख अहमद डार, गिलानी गुट के हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मीडिया सलाहकार मोहम्मद अकबर खांडे, तहरीक ए हुर्रियत के राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, हवाला कारोबारी अहमद शाह वटल और दो पत्थरबाज कमरान युसुफ व जावेद अहमद भट का भी नाम है।
जांच एजेंसी के अनुसार मामले में गत 30 मई को रिपोर्ट दर्ज की गई थी और 24 जुलाई 2017 को मामले में नामी व्यवसायी जहूर अहमद वाताली के रूप में पहली गिरफ्तारी की गई थी। जहूर अहमद पर हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हुई हिंसा के दौरान मुकदमा दर्ज किया गया था।
जांच अधिकारियों ने कोर्ट में कहा कि जांच के दौरान 60 स्थानों पर छापे मारे गए और 950 दस्तावेजों को जब्त किया गया। इसमें से 600 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं। वहीं, मुकदमे में 300 गवाह हैं।
जांच एजेंसी ने बताया कि दस्तावेजों व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के परीक्षण से पता चला कि अलगाववादी नेता, आतंकी व पत्थरबाज जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों और ¨हसा को बढ़ावा दे रहे थे, जो सुनियोजित आपराधिक साजिश है। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि पूरा षड्यंत्र सीमा पार पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के समर्थन से रचा गया था। इनकी मंशा भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था। एनआइए ने कहा कि हाफिज सईद और सलाहुद्दीन हवाला के रास्ते पैसा भेजकर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहे थे।