दिल्ली में नकली दवाओं पर निगरानी का सिस्टम फेल
नकली दवाओं की निगरानी और असली दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी औषधि नियंत्रक (ड्रग्स कंट्रोलर) विभाग की है, लेकिन दिल्ली में दवाओं की निगरानी का सिस्टम फेल होता दिख रहा है।
नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। नकली दवाओं की निगरानी और असली दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी औषधि नियंत्रक (ड्रग्स कंट्रोलर) विभाग की है, लेकिन दिल्ली में दवाओं की निगरानी का सिस्टम फेल होता दिख रहा है।
स्थिति यह है कि यह विभाग सरकारी अस्पतालों से हर साल दवाओं की जांच के लिए सौ नमूने भी नहीं उठा पा रहा है। एक आरटीआइ में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2014-15 में सरकारी अस्पतालों से मात्र 53 नमूने लिए गए। पांच साल से कमोबेश यही स्थिति है, जबकि एम्स, सफदरजंग, लोकनायक, जीटीबी अस्पताल सहित तमाम बड़े-छोटे अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति हो रही है।
ऐसे में औषधि विभाग के कामकाज की निगरानी जरूरी है। क्योंकि सैंपल इतने कम लिए जा रहे हैं कि गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना आसान नहीं है।
रोहिणी के रहने वाले आरएच बंसल ने आरटीआइ दायर कर दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रक विभाग से पूछा था कि पांच साल में सरकारी अस्पतालों व डिस्पेंसरियों से कितने नमूने लिए गए। उनमें से कितने नमूने जांच में फेल हुए।
हाल ही में दिए जवाब में औषधि नियंत्रक विभाग ने बताया है कि पांच साल में 227 नमूने ही जांच के लिए लिए गए। इस तरह औसतन हर साल 45 नमूने ही लिए जा सके, जबकि दिल्ली में केंद्र व दिल्ली सरकार, नगर निगम आदि एजेंसियों के करीब 132 अस्पताल हैं।
इसके अलावा सैकड़ों डिस्पेंसरियां हैं। इससे साफ है कि सभी अस्पतालों से नमूने भी नहीं उठाए जा रहे हैं। यह मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि सरकारी अस्पतालों में नकली दवाएं पकड़ी गई हैं।