मौके पर कोरोना जांच के नमूने लेना बंद करना अस्वीकार्य: हाई कोर्ट
राजधानी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मौके पर कोरोना जांच के नमूने लेना बंद करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी लैब की खिचाई करते हुए कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
राजधानी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मौके पर कोरोना जांच के नमूने लेना बंद करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी लैब की खिचाई करते हुए कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने कहा कि अगर निजी लैब मौके पर नमूने एकत्रित करने को लेकर तय की गई दर से नाखुश हैं तो अपनी बात उपराज्यपाल द्वारा गठित समिति के समक्ष उठा सकती है। हालांकि, पीठ ने कहा कि हर दिन बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच निजी लैब द्वारा मौके पर नमूना लेना बंद करना स्वीकार्य नहीं है।
पीठ ने याचिकाकर्ता राकेश मल्होत्रा की पीठ याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। याचिका पर दिल्ली सरकार के स्टैंडिग काउंसल सत्यकाम ने शपथ पत्र दाखिल करके कहा कि उपराज्यपाल द्वारा गठित कमेटी के 25 जून के दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने कहा कि कोरोना जांच को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में सेरो-सर्विलांस 27 जून से शुरू कर दिया गया है, जोकि 5 जुलाई तक चलेगा और इस दौरान 21793 रैपिड रैंडम सैंपल राज्य के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित किए जाएंगे। एक सप्ताह के अंदर लोगों के लिए परिणाम सार्वजनिक कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक जुलाई तक दिल्ली में कुल 433 कंटेनमेंट जोन थे और इसके आसपास 167 केयर-कैंप टेस्ट प्रक्रिया के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट सरकारी डिस्पेंसरी पर मुफ्त में एकत्रित किए जाएंगे।
दिल्ली सरकार द्वारा पेश किए गए उक्त जानकारी को रिकॉर्ड पर लेते हुए पीठ ने दिल्ली सरकार से 26 जून से 5 जुलाई के बीच शुरू किए गए सेरो-सर्विलांस से कितने एंटी-बॉडी टेस्ट के संबंध में विस्तृत जानकारी पेश करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट की भी जानकारी दी जाए। पीठ ने इसके साथ ही आइसीएमआर से कहा कि अदालत की सहायता और प्रश्नों के जवाब देने के लिए एक सक्षम अधिकारी को अदालत में रखा जाए। याचिका पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा के माध्यम से याचिकाकर्ता संजीव शर्मा ने याचिका दायर कर दलील दी थी कि ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां पर आकस्मिक सर्जरी के लिए अस्पताल जाने वाले मरीजों की कोरोना जांच निजी अस्पताल नहीं कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि दिल्ली सरकार और सभी अस्पतालों व नर्सिंग होम को कोरोना जांच कराने का निर्देश दिया जाए। साथ ही वे इसकी जानकारी संबंधित वेबसाइटों पर हर दिन दें ताकि मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागने की जरूरत न पड़े।