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पुस्तकों के कुंभ पर भी कोरोना का साया

कोरोना संकट के बीच साहित्य प्रेमी इस बार पुस्तकों के कुंभ में डुबकी नहीं लगा पाएंगे। कोविड-19 की काली छाया से साहित्य संसार भी अछूता नहीं रहा है। यही वजह है कि प्रगति मैदान में हर साल लगने वाला दिल्ली पुस्तक मेला भी इस बार आयोजित नहीं होगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 12:04 AM (IST)
पुस्तकों के कुंभ पर भी कोरोना का साया
पुस्तकों के कुंभ पर भी कोरोना का साया

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली :

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कोरोना संकट के बीच साहित्य प्रेमी इस बार पुस्तकों के कुंभ में डुबकी नहीं लगा पाएंगे। कोविड-19 की काली छाया से साहित्य संसार भी अछूता नहीं रहा है। यही वजह है कि प्रगति मैदान में हर साल लगने वाला दिल्ली पुस्तक मेला भी इस बार आयोजित नहीं होगा। भारतीय प्रकाशक संघ (एफआइपी) ने मेले के आयोजन को लेकर सीधे तौर पर हाथ खड़े कर दिए हैं।

गौरतलब है कि एफआइपी और भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आइटीपीओ) के संयुक्त तत्वावधान में सन 1995 से प्रगति मैदान में हर साल दिल्ली पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। अगस्त माह के अंतिम या सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में लगने वाला यह मेला 2018 तक नौ दिवसीय होता था जबकि 2019 में इसे पांच दिवसीय कर दिया गया था। कोरोना संक्रमण के चलते इस साल पहली बार यह मेला नहीं लगाने का निर्णय लिया गया है।

हाल ही में एफआइपी की कार्यकारिणी के सदस्यों ने मेला आयोजन को लेकर वर्चुअल बैठक की। बैठक में सामने आया कि स्कूल- कॉलेज सहित सभी शिक्षण संस्थान अभी बंद चल रहे हैं। ज्यादातर साहित्यिक गतिविधियां भी नहीं ही हो रही हैं। ऐसे में प्रकाशक भी मेले में भाग लेने के इच्छुक नहीं हैं। पुस्तक प्रेमियों के भी मेले में आने को लेकर संदेह है। सबसे बड़ा भय यही कि अगर कहीं कोई समस्या उत्पन्न हो गई तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

इस सारी चर्चा के बाद यही तय किया गया कि इस साल दिल्ली पुस्तक मेले का आयोजन रद कर दिया जाए। प्रकाशकों को भी इस आशय की सूचना दे दी गई है। हालांकि एफआइपी ने सह भागीदार के रूप में आइटीपीओ को इस निर्णय से अवगत नहीं कराया है। लेकिन, यह तय है कि अगर आइटीपीओ की ओर से मेला आयोजन का कोई अनुरोध आता भी है तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। बॉक्स-1

कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए इस साल 26वां दिल्ली पुस्तक मेला नहीं होगा। दिल्ली सरकार की ओर से अंतिम संस्कार और विवाह जैसे आयोजनों में भी 20 से 50 लोगों की भागीदारी ही स्वीकृत की गई है। लिहाजा, पुस्तक मेले का आयोजन न तो नियम सम्मत है और न ही व्यावहारिक।

-नवीन गुप्ता, अध्यक्ष, दिल्ली पुस्तक मेला आयोजन समिति, एफआइपी


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