Move to Jagran APP

कोल इंडिया कंपनी ने बच्ची की जान बचाने के लिए दी अब तक की सबसे बड़ी सहायता राशि, जानिए क्या है पूरा मामला

चिकित्सकों ने बताया कि अमेरिका की कंपनी 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन बनाती है। इंजेक्शन जीन थेरेपी उपचार है। इस इंजेक्शन को मात्र एक बार ही एक मरीज को लगाया जाता है। स्पाइनल मस्क्यूलर एट्राफी से ग्रसित कम से कम दो साल के बच्चों को यह इंजेक्शन लगाया जाता है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 01:18 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 01:57 PM (IST)
कोल इंडिया कंपनी ने बच्ची की जान बचाने के लिए दी अब तक की सबसे बड़ी सहायता राशि,  जानिए क्या है पूरा मामला
कोल इंडिया कंपनी के कर्मचारी की 24 महीने की बिटिया दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से लड़ रही जंग।

नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। जिस रास्ते से संकट आता है उसी रास्ते से उसका समाधान भी आता है। बस हमें थोड़ा सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत होती है। झारखंड के पलामू जिले के रहने वाले सतीश गत दो वर्षो से एक विकट संकट से जूझ रहे हैं लेकिन अथक प्रयास के बाद अब उन्हें इस संकट निकलने का रास्ता मिला है। उनकी 24 महीने की बिटिया एक बेहद दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जंग लड़ी रही है। इस बीमारी से निजात पाने के लिए उन्हें अमेरिका से 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन मंगाना था। इंजेक्शन की कीमत सुनकर उनके होश उड़ गए। वह अपनी बिटिया को देखकर बस रोने का मजबूर थे। लेकिन भारतीय मजदूर संघ व कोल इंडिया की मदद से पैसों का इंतजाम कर दिया गया। सतीश कोल इंडिया कंपनी के कर्मचारी हैं।

loksabha election banner

सतीश ने बताया कि उनकी ड्यूटी छत्तीसगढ़ के कोरबा स्थित कोल खदान में है। 22 नवंबर 2019 में बिटिया का जन्म हुआ था। चार महीने बाद उसका स्वास्थ्य खराब होना शुरू हुआ। वह अपने हाथ और पाव नहीं हिला पा रही थी। चिकित्सकों को दिखाया गया। कई जांच के बाद बिटिया को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी का होना पता चला। स्थानीय अस्पताल में उपचार के दौरान चिकित्सकों ने कहा कि इस बीमारी का इलाज ही नहीं है। लेकिन इस बीच मुंबई के एक अस्पताल में इसी तरह की बीमारी से ग्रस्त एक बिटिया का उन्हें पता चला। फिर उन्होंने उस अस्पताल के चिकित्सकों व बिटिया के पिता से बात किया। तब उन्हें 16 करोड़ के इंजेक्शन से ठीक होने का पता चला।

सबसे पहले उन्होंने बिटिया को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया। और फिर पैसों के इंतजाम में लग गए। लोगों से मदद के नाम उनके पास 50 लाख के करीब रुपये जुटाए। इस बीच वह भारतीय मजदूर संघ के दिल्ली प्रदेश महामंत्री डा. दीपेंद्र चाहर से हुई। उन्होंने बिटिया की बीमारी के बारे में उन्हें बताया। इसके बाद दिल्ली स्थित कोल इंडिया के मुख्यालय पर हुई कोल इंडिया व संघ के पदाधिकारियों की बैठक में सतीश की बिटिया के उपचार के लिए लगने वाले 16 करोड़ रुपये की मदद की मांग की गई। जिसे कंपनी के अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया।

साढ़े छह करोड़ रुपये का कस्टम ड्यूटी भी होगी माफ

इंजेक्शन के पैसे मिलने के बाद सतीश की एक और समस्या थी। दरअसल इंजेक्शन अमेरिका की कंपनी से मंगाना है। ऐसे में उसपर कस्टम ड्यूटी के साढ़े छह करोड़ रुपये और लगने हैं। डा. दीपेंद्र चाहर का कहना है कि इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मदद मांगी गई थी। उन्होंने पूरी मदद करने का आश्वासन दिया है। इस सप्ताह के अंत तक इंजेक्शन आने की उम्मीद है।

यह है स्पाइनल मस्क्युलर एट्राफी

स्पाइनल मस्क्यूलर एट्राफी बेहद गंभीर और दुर्लभ बीमारी है। इससे बच्चों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता है। इस बीमारी में मांसपेशियां और तंत्रिकाएं खत्म होनी शुरू हो जाती हैं। इसमें दिमाग की मांसपेशियां भी काम करना बंद कर देती हैं। ऐसे में मरीज को सांस लेने के साथ भोजन चबाने तक में परेशानी शुरू हो जाती है। चिकित्सकों ने बताया कि अमेरिका की कंपनी 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन बनाती है। यह इंजेक्शन एक प्रकार का जीन थेरेपी उपचार है। इस इंजेक्शन को मात्र एक बार ही एक मरीज को लगाया जाता है। स्पाइनल मस्क्यूलर एट्राफी से ग्रसित कम से कम दो साल के बच्चों को यह इंजेक्शन लगाया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.