मेक इंडिया इंडिया! चीन के सस्ते सामान के आगे फीके भारतीय उत्पाद
देश में मेक इंडिया अभियान तभी सफल हो सकता है, जब पड़ोसी मुल्क (चीन) के सस्ते इलेक्टिकल उत्पादों का भारतीय बाजार पर दबदबा कम हो, अन्यथा देश का मैन्युफैक्चरिंग उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।
नोएडा (कुंदन तिवारी)। देश में मेक इंडिया अभियान तभी सफल हो सकता है, जब पड़ोसी मुल्क (चीन) के सस्ते इलेक्टिकल उत्पादों का भारतीय बाजार पर दबदबा कम हो, अन्यथा देश का मैन्युफैक्चरिंग उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।
उद्यमियों का कहना है कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 50 फीसद दर कम करके इलेक्टिकल उत्पाद को भारत में डंप कर रहा है। इससे यहां तैयार होने वाले उत्पाद और चीनी उत्पादों की दरों में भारी अंतर हो गया है।
इससे यहां की इकाइयों में तैयार होने वाले इलेक्टिकल उत्पाद प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गये हैं। उद्यमियों में अपने उत्पादों की बिक्री को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। उद्यमियों के मुताबिक मेक इन इंडिया से एक उम्मीद जगी थी कि देश में ही इलेक्टिकल उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू होगी।
इसके लिए काफी उद्यमियों ने मशीन आयात किया और गुणवत्ता वाले इलेक्टिकल उत्पाद को तैयार करने के लिए ताइवान, चीन, जापान, कोरिया से रॉ मैटेरियल भी खरीदा। अभी उत्पाद तैयार होकर बाजार में आना ही शुरू हुआ था कि चीन ने भारतीय बाजार में 50 फीसद दर कम कर अपना उत्पाद डंप कर दिया।
ऐसे में देश में निर्मित होने वाले इलेक्टिकल उत्पाद की बिक्री में काफी बड़ा अंतर आ गया है। सच्चाई यह है कि चीनी उत्पाद की गुणवत्ता सही नहीं है, लेकिन उपभोक्ता गुणवत्ता पर ध्यान दिए बिना ही चीनी उत्पाद को खरीदने में जुटा है। इससे देश की उत्पादन इकाइयां बंद होनी शुरू हो गई हैं। ऐसे में हजारों लोगों पर बेरोजगार होने का संकट मंडरा रहा है।
भारतीय बाजार में जो एलईडी बल्ब आ भी रहे हैं, उनकी लागत 40 रुपये से 125 रुपये आती है, जबकि चीन इस बल्ब को 40 से 50 रुपए में बनाकर बाजार में डंप कर चुका है